इस हार्मोन की वजह से बेवफाई करती हैं औरतें, होश उड़ा देगी यह हकीकत
टेक्सास यूनिवर्सिटी में साइकोलॉजी के प्रोफेसर रॉबर्ट जोसेफ इस पर कहते हैं कि हार्मोना का हमारे व्यवहार पर असर किस कदर पड़ता है, इंसानों को इसकी जानकारी 19वीं सदी की शुरुआत से ही है.
किसी रिश्ते को लंबे समय तक चलाने के लिए विश्वास, प्यार और वफा तीन सबसे जरूरी चीजें होती हैं. इसमें वफा एक ऐसी चीज है जिसके बेवफाई में बदलने से प्यार और विश्वास भी खत्म हो जाता है. लेकिन अब सवाल उठता है कि आखिर कोई पार्टनर बेवफाई करता क्यों है. क्या ये इंसान की अपनी इच्छा होती है या इसके लिए शरीर में होने वाले कुछ बदलाव जिम्मेदार होते हैं. चलिए जानते हैं इसे लेकर विज्ञान क्या कहता है.
क्या कहता है विज्ञान?
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और ऑस्टिन में टेक्सास यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने हाल ही में एक शोध में पाया कि इंसानों में यानी महिलाओं और पुरुषों दोनों में टेस्टोस्टेरोन और कोर्टिसोल हार्मोन की अधिकता बेवफाई और अनैतिक व्यवहार के लिए जिम्मेदार होते हैं. जिन इंसानों में इन हार्मोन्स की अधिकता होती है, वह अपने पार्टनर को धोखा देने के बाद खुशी महसूस करते हैं.
टेक्सास यूनिवर्सिटी में साइकोलॉजी के प्रोफेसर रॉबर्ट जोसेफ इस पर कहते हैं कि हार्मोना का हमारे व्यवहार पर असर किस कदर पड़ता है, इंसानों को इसकी जानकारी 19वीं सदी की शुरुआत से ही है. लेकिन हाल ही के कई रिसर्च में ये पता चला है कि ये हार्मोन आपके व्यवहार को किस तरह से बदल सकने की क्षमता रखते हैं.
कैसे काम करते हैं ये हार्मोन
वैज्ञानिकों का कहना है कि शरीर में मौजूद हाई टेस्टोस्टेरोन दंड के डर को कम करते हैं और किसी चीज को हासिल करने के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाते हैं. वहीं हाई कोर्टिसोल शरीर के क्रोनिक तनाव से जुड़ा है. यह मन को सही और गलत के बीच फैसला करने में कमजोर करता है. टेस्टोस्टेरोन का उच्च स्तर जहां इंसानों को अपने पार्टनर को धोखा देने के लिए उकसाता है. वहीं कोर्टिसोल दिमाग में एक कारण का निर्माण करता है, जिसकी वजह से एक इंसान अपने पार्टनर को धोखा देता है.
लोगों पर गणित के सवाल से हुआ रिसर्च
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और टेक्सास यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने इस शोध को करने के लिए कई लोगों को एक साथ बिठाया और उन्हें गणित के कुछ सवाल हल करने को दिए. छात्रों से कहा गया कि जिनके गणित के जितने सवाल हो जाएं वो हमें बता दें. सभी के जवाब आने के बाद रिसर्चर ने छात्रों के लार का सैंपल लिया और उसका टेस्ट किया. इस टेस्ट में पता चला कि जिन छात्रों का टेस्टोस्टेरोन और कोर्टिसोल बढ़ा हुआ था, उन्होंने अपने जवाब को बढ़ा चढ़ा कर बताया था. जबकि, जिनके अंदर ये हार्मोन संतुलित थे उन्होंने उतना ही बताया था, जितना सही था.
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