पेरिस ओलंपिक खेल 2024 में दुनियाभर के 10,500 से अधिक खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया है. ओलंपिक खेलों में हर खिलाड़ी की ख्वाहिश होती है कि वो अपने देश के लिए मेडल जीते. मेडल जीतने और पुराने रिकॉर्ड तोड़ने के लिए हर खिलाड़ी जी जान से मेहनत करता है और अच्छा प्रदर्शन करने का प्रयास करता है. क्या आप जानते हैं कि ओलंपिक में वो कौन-कौन से रिकॉर्ड हैं, जो आज तक कोई भी खिलाड़ी नहीं तोड़ पाया है. 


ओलंपिक 2024


इस बार ओलंपिक खेलों का आयोजन फ्रांस की राजधानी पेरिस में हो रहा है. दुनियाभर के देशों से खिलाड़ियों ने इसमें हिस्सा लिया है. लेकिन ओलंपिक में कुछ रिकॉर्ड ऐसे बने हैं, जो सालों या कहे दशकों से टूटे नहीं हैं. ओलंपिक में हर एथलीट की ख्वाहिश होती है कि वो दुनिया के सबसे बड़े खेल आयोजन में एक नया रिकॉर्ड दर्ज कर सके. 


2009 से नहीं टूटा इस खिलाड़ी का रिकॉर्ड


बता दें कि 100 मीटर की दौड़ में पुरुषों का वर्ल्ड रिकॉर्ड 2009 से नहीं टूटा है. जबकि इसी इवेंट में महिलाओं के लिए वर्ल्ड रिकॉर्ड 1988 से बरकरार है. जमैका के एथलीट उसेन बोल्ट ने लगभग 45 किमी/घंटा की टॉप स्पीड के साथ 100 मीटर की रेस को सिर्फ 9.58 सेकंड में पूरी किया था. उन्होंने अपना पिछला वर्ल्ड रिकॉर्ड एक सेकंड के दसवें हिस्से से भी कम समय में तोड़ा था. महिलाओं का रिकॉर्ड अमेरिकी धावक फ्लोरेंस ग्रिफिथ जॉयनर के नाम है, जिन्होंने 10.49 सेकंड में दूरी पूरी की थी. रिसर्च के मुताबिक इंसान लगभग 60 किमी/घंटा की स्पीड से दौड़ने के काबिल हो सकता है. यानी 100 मीटर की दूरी कवर करने में 5.625 सेकंड का समय लगेगा. 


इसके अलावा 50 मीटर फ्रीस्टाइल में पुरुषों का रिकॉर्ड ब्राजील के तैराक सेसर सिएलो फिल्हो के नाम है. इन्होंने 2009 में पूल की पूरी लंबाई 20.91 सेकंड में तैरकर पूरी की थी. वहीं 2023 में स्वीडिश तैराक साराह सोस्ट्रोम ने महिलाओं का रिकॉर्ड हासिल करने के लिए 23.61 सेकेंड में दौड़ पूरी की थी. दोनों टॉप टाइम 1970 के दशक में बने पहले रिकॉर्ड से लगभग तीन सेकेंड कम हैं.


स्पोर्ट्सवियर


खेलों में ऐसा माना जाता है कि स्पोर्ट्सवियर में सुधार भी परफॉर्मेंस को काफी हद तक बढ़ा सकता है. एथलीट्स ने 2008 के ओलंपिक में 25 वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़े हैं. हालांकि एथलीट्स की डाइट और उनकी साइकोलॉजिकल कंडीशन और ट्रेनिंग का तरीका परफॉर्मेंस पर असर डालता है. बता दें कि ओलंपिक खेलों में पहली बार महिला और पुरुष एथलीट्स का प्रतिशत लगभग बराबर होगा. इससे पहले हमेशा पुरुष एथलीट्स की संख्या ही ज्यादा रही है. 


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