दुनिया में कुछ ऐसे नेता हैं जिनके पास एक बटन दबाने की ताकत है, जो पूरी दुनिया को तबाह कर सकती है. ये वे नेता हैं जिनके पास परमाणु हथियारों का नियंत्रण है. परमाणु हथियार मानव इतिहास का सबसे विनाशकारी आविष्कार है और इनके गलत इस्तेमाल से पूरी मानवता का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है.


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कौन से देशों के पास हैं परमाणु हथियार?


दुनिया में कुछ ही देशों के पास परमाणु हथियार हैं. इनमें अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन, भारत, पाकिस्तान, इसराइल और उत्तर कोरिया शामिल हैं. इन देशों के पास परमाणु हथियारों का एक बड़ा भंडार है और ये हथियार दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा हैं.


परमाणु हथियारों का नियंत्रण कैसे होता है?


परमाणु हथियारों का नियंत्रण एक जटिल प्रक्रिया है. हर देश में परमाणु हथियारों के नियंत्रण के लिए अलग-अलग प्रणाली होती है. आमतौर पर, परमाणु हथियारों का नियंत्रण सैन्य और नागरिक दोनों अधिकारियों के हाथों में होता है. परमाणु हथियारों को लॉन्च करने के लिए कई स्तरों की सुरक्षा प्रणाली होती है ताकि कोई भी गलती से या जानबूझकर इन हथियारों को लॉन्च न कर सके.


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किन नेताओं के पास है परमाणु बम का कंट्रोल?


परमाणु हथियारों का नियंत्रण एक संवेदनशील और नाजुक मामला होता है, क्योंकि इनका दुरुपयोग पूरी दुनिया के लिए खतरनाक हो सकता है. परमाणु हथियारों का अस्तित्व सुरक्षा के लिहाज से एक प्रकार का "डिटरेंट" यानी निवारक शक्ति के रूप में देखा जाता है, जिसका उद्देश्य किसी देश पर हमले को रोकना होता है. हालांकि, जब इन हथियारों का नियंत्रण किसी गलत हाथों में चला जाता है, तो यह पूरी इंसानियत के लिए खतरा बन सकता है. यही कारण है कि परमाणु हथियारों के नियंत्रण को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सख्त कानून और प्रोटोकॉल बनाए गए हैं.


संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)- संयुक्त राज्य अमेरिका, जो दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु हथियार संपन्न देश है, का परमाणु शस्त्रागार दुनिया के सबसे विकसित और शक्तिशाली हथियारों में से एक माना जाता है. अमेरिका में परमाणु हथियारों का नियंत्रण राष्ट्रपति के हाथ में होता है.


रूस (Russia)- रूस के पास भी दुनिया का सबसे शक्तिशाली परमाणु शस्त्रागार है और रूस का परमाणु हथियारों का नियंत्रण रूसी राष्ट्रपति के पास होता है.


चीन (China)- चीन, जो दुनिया के सबसे बड़े परमाणु हथियारों वाले देशों में से एक है, इस देश का परमाणु शस्त्रागार भी एक बड़ा सैन्य बल है. चीन के राष्ट्रपति को परमाणु हथियारों का नियंत्रण देने वाली प्रणाली के तहत यह अधिकार दिया जाता है. चीन के परमाणु हथियारों का इस्तेमाल एक "कोल्ड स्ट्राइक" नीति के तहत किया जाता है, जिसका उद्देश्य शत्रु को जवाबी हमले की धमकी देना है.


भारत (India)- भारत भी एक परमाणु शक्ति है और भारतीय प्रधानमंत्री के पास देश के परमाणु हथियारों का नियंत्रण होता है. भारत की परमाणु नीति "No First Use" (NFU) पर आधारित है, जिसका अर्थ है कि भारत परमाणु हथियारों का पहला उपयोग नहीं करेगा, लेकिन यदि भारत पर परमाणु हमला होता है, तो वो जवाबी हमला करेगा.


पाकिस्तान (Pakistan)- पाकिस्तान भी एक परमाणु शक्ति है और उसके परमाणु हथियारों का नियंत्रण पाकिस्तानी प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के पास होता है. पाकिस्तान का परमाणु कमांड और नियंत्रण सिस्टम एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और सैन्य प्रमुख सभी शामिल होते हैं. हालांकि, परमाणु हमले का आदेश सैन्य प्रमुख द्वारा दिया जा सकता है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा समिति में सभी आखिरी निर्णय होते हैं.


यूनाइटेड किंगडम (UK)- यूनाइटेड किंगडम के पास भी परमाणु हथियारों का एक प्रचुर भंडार है और वहां प्रधानमंत्री के पास परमाणु हमले का आदेश देने का अधिकार होता है. ब्रिटिश प्रधानमंत्री के पास भी परमाणु हमले के आदेश देने के लिए विशेष सुरक्षा प्रोटोकॉल होते हैं और यह आदेश संसद की मंजूरी के बिना नहीं दिया जा सकता.


फ्रांस (France)- फ्रांस भी परमाणु शक्ति संपन्न देशों में आता है और वहां फ्रांसीसी राष्ट्रपति को परमाणु हथियारों का नियंत्रण देने का अधिकार है. फ्रांस की परमाणु नीति "Force de frappe" के सिद्धांत पर आधारित है, जो एक निवारक बल की तरह काम करता है. फ्रांसीसी राष्ट्रपति को परमाणु हमला करने का आदेश देने के लिए खास सैन्य अधिकारी और नेशनल डिफेंस के साथ मिलकर निर्णय लेना होता है.


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