गाड़ी का मतलब ही लोहा होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अब लोह की जगह भांग से भी कार बन रहा है. जी हां, भांग के पौधे को अक्सर हम नशे के लिए ही जानते हैं. लेकिन आपको जानकर आश्चर्य हो सकता है कि भांग के पौधे के 50,000 से अधिक उपयोग हैं, कपड़ों से लेकर दवाओं, कपड़ों, ईंधन और यहां तक कि कारों में भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर कब से भांग के पौधों से कार बन रहा है.


भांग से बनी कार


बता दें कि हेनरी फोर्ड ने पहली गांजा कार बनाई 1940 के दशक में बनाई थी.  ये कार स्टील से 10 गुना ज़्यादा मज़बूत थी और इसे भांग के जैव-ईंधन पर चलने के लिए डिज़ाइन किया गया था. लेकिन दुर्भाग्य से यह प्लान बदलना पड़ा, क्योंकि 1937 में अमेरिका में भांग के पौधे का उत्पादन अवैध हो गया था. हालांकि, कनाडा सरकार भांग की खेती की अनुमति देती है और भांग उद्योग को सक्रिय रूप से समर्थन देती है. लेकिन अमेरिका जैसे स्थानों के लिए संभव नहीं है.


भांग का पौधा क्यों लोकप्रिय


बता दें कि भांग कैनबिस पौधे का सामान्य नाम है. इसको लेकर सबसे ज्यादा प्रचार-प्रसार ड्रग्स, मारिजुआना और हशीश के रूप में किया जाता है. हालाँकि रेशेदार जड़ों, डंठलों और तनों वाले ये पौधे हज़ारों उत्पादों को बनाने में बहुत उपयोगी साबित हुए हैं  और औद्योगिक भांग को बहुत कम मात्रा में टीएचसी रसायन का उत्पादन करने के लिए उगाया जाता है, जिसमें मनोवैज्ञानिक गुण होते हैं जो दवा बनाते हैं.


भांग से बनी कार


जानकारी के मुताबिक भांग से बनी कार को ब्रूस डीत्स ने बनाया है. दावा किया जा रहा है कि ये कार इलेक्ट्रिक कारों से अधिक मजबूत और अच्छी स्पीड है. ये कार बिल्कुल इको फ्रेंडली है. इसका निर्माण करने वाले ब्रूस डीत्स का मानना है कि इको फ्रेंडली कार बनाने पर्यावरण को स्वस्छ रखने में मदद मिलेगी. 
 


बाजार में मौजूद कारें


आज भारत समेत दुनियाभर में गाड़ियां मौजूद हैं. इन गाड़ियों से फैलने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए ही सरकार इलेक्ट्रीक कारों पर जोर दे रही है. लेकिन उसके बावजूद गाड़ियों से फैलने वाला प्रदूषण कम नहीं हो रहा है. भारत में आज डीजल, पेट्रोल, सीएनजी और इलेक्ट्रिक गाड़ियां मौजूद है. एक्सपर्ट के मुताबिक आने वाले दशकों में सरकार इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर सबसे अधिक जोर देने वाले हैं. 


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