अमेठी सीट से लगातार चार बार सांसद रह चुके हैं ये पूर्व प्रधानमंत्री, इसलिए कहते हैं गांधी परिवार का गढ़
लोकसभा चुनाव 2024 के अधिकांश सीटों पर मतगणना समाप्त हो चुकी है और लगभग सीटों पर विजेताओं का नाम घोषित हो चुका है. आज हम कांग्रेस के गढ़ अमेठी सीट की बात करेंगे, जहां पर कांग्रेस ने जीत हासिल की है.
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लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अधिकांश सीटों पर मतगणना हो चुकी है. चुनाव आयोग ने कई सीटों पर विजेताओं का नाम भी घोषित कर दिया है. इसी में एक अमेठी की सीट भी है. जहां पर बीजेपी नेता स्मृति ईरानी को इस बार 3 लाख 40 हजार 693 मत मिले हैं. जबकि वहीं किशोरी लाल शर्मा ने 4 लाख 86 हजार 166 मतों के साथ जीत हासिल की है. आज हम आपको बताएंगे कि क्यों अमेठी को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है.
अमेठी सीट
सवाल ये उठता है कि अमेठी कांग्रेस पार्टी का गढ़ कैसे बना है? इसका जवाब जानने के लिए आपको अमेठी सीट का इतिहास जानना पड़ेगा. गौरतलब है कि अमेठी में पहला लोकसभा चुनाव 1967 में हुआ था. तब कांग्रेस के विद्या धर बाजपेयी ने यहां से जीते दर्ज की थी. इसके बाद अमेठी सीट पर 1977 में जनता पार्टी के रविंद्र प्रताप सिंह ने जीत हासिल की थी. कांग्रेस के बड़े नेता संजय गांधी ने 1980 में अमेठी सीट जीती थी. हालांकि जीत के कुछ महीनों के बाद संजय गांधी की एक विमान दुर्घटना में मौत हो गई थी. जिस कारण 1981 में उपचुनाव कराना पड़ा, जिसमें संजय गांधी के भाई राजीव गांधी की जीत हुई थी. इसके बाद राजीव गांधी ने 1984 और 1989 के लोकसभा चुनाव में भी अमेठी से जीत हासिल की थी. हालांकि 1984 में राजीव गांधी के खिलाफ संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव में उतरी थी, लेकिन उन्हें सिर्फ 50,163 वोट मिले थे. जबकि राजीव गांधी को 3,65,041 वोटों के साथ जीत हासिल की थी.
अमेठी सीट कांग्रेस परिवार की सीट
बता दें कि 1991 के चुनाव में अमेठी में मतदान के कुछ दिनों बाद ही राजीव गांधी की हत्या हो गई थी. लेकिन जून 1991 में जब वोटों की गिनती हुई थी, राजीव गांधी को उनकी मृत्यु के बाद विजेता घोषित किया गया था. लेकिन चुनाव आयोग ने फिर इस सीट पर उपचुनाव कराया था. जिसे कांग्रेस के सतीश शर्मा ने जीता था. वहीं 1996 के चुनाव में भी सतीश शर्मा ने ही जीत हासिल की थी. वहीं 1998 में यहां BJP के संजय सिंह जीते थे.
सीट आई गांधी परिवार के पास
वहीं 1999 में सोनिया गांधी अमेठी से सांसद चुनी गई थी. सोनिया गांधी के बाद राहुल गांधी ने अमेठी से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. राहुल गांधी ने साल 2004 में अमेठी से पहली बार सांसद चुने गये थे. इसके बाद उन्होंने यहां से 2009 और 2014 का चुनाव जीता थे. लेकिन 2019 में बीजेपी से स्मृति ईरानी ने जीत हासिल की थी.
अब फिर सीट कांग्रेस परिवार के पास
2024 लोकसभा चुनाव में तो अमेठी सीट से कांग्रेस परिवार का कोई सदस्य नहीं था. लेकिन फिर भी इसे परिवार की जीत क्यों माना जा रहा है. दरअसल किशोरी लाल शर्मा गांधी परिवार के लिए पारिवारिक सदस्य की तरह हैं. जानकारी के मुताबिक राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने सरकारी योजनाओं के प्रचार प्रसार के लिए युवा कांग्रेस के लोगों को जोड़ा था. तब अमेठी में किशोरी लाल को कोआर्डिनेटर बनाया गया था. यही कारण है कि किशोरी लाल का रायबरेली और अमेठी से 40 साल से ज्यादा पुराना रिश्ता है.
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