दुनियाभर में लाखों प्रजाति के जानवर पाए जाते हैं. सभी जानवरों की अपनी अलग-अलग विशेषता होती है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे विशाल जानवर के बारे में बताने वाले हैं, जिसका हाथी और सफेद गैंडे के बाद नाम लिया जाता है. जी हां हम दरियाई घोड़ा की बात कर रहे हैं. क्या आप जानते हैं कि दरियाई घोड़ा का पसीना पिंक रंग का होता है. आज हम आपको दरियाई घोड़ा के बारे में बताएंगे.
दरियाई घोड़ा
दरियाई घोड़ा को हाथी और गैंडे के बाद सबसे विशाल और भारी जानवर माना जाता है. ये एक ऐसा जानवर है, जो अपना ज्यादातर समय पानी में गुजारता है. दरियाई घोड़े यानी हिप्पोपोटामस का ग्रीक में मतलब “नदी का घोड़ा” होता है. ये जानवर अपने बड़े-बड़े दांत और आक्रामक स्वभाव के लिए जाने जाते हैं. सवाल ये है कि क्या दरियाई घोड़ों का पसीना गुलाबी रंग का होता है.
पिंक पसीना
जानकारी के मुताबिक दरियाई घोड़ों में नर 10.8 से 16.5 फीट की लंबाई तक पहुंच सकते हैं. वहीं इनका वजन 4.50 टन तक हो सकता है, जबकि मादा दरियाई घोड़े का वजन 1.35 टन तक होता है. वहीं इनके गुलाबी पसीने के पीछे इनका शरीर है. दरअसल दरियाई घोड़े के शरीर से पिंक कलर का ऑयल निकलता है, यही पसीने जैसा नजर आता है.
सैन डिएगो स्टेट यूनिवर्सिटी में बॉयोलॉजी की प्रोफेसर और आईयूसीएन एसएससी हिप्पो स्पेशलिस्ट ग्रुप की को-ऑथर रेबेका लेविसन ने बताया कि दरियाई घोड़े का पसीना गुलाबी होता है. लेविसन ने बताया कि यह पसीना नहीं बल्कि स्किन का स्राव है, जो सनस्क्रीन और एंटीबायोटिक और एंटीमाइक्रोबियल कंपाउंड का एक कॉम्बो है.
जानकारी के मुताबिक दरियाई घोड़े का पसीना इस जानवर के म्यूकस ग्लैंड से निकलने वाला एक ऑयली स्राव है. हालांकि इसे कभी-कभी लाल पसीना या खूनी पसीना भी कहा जाता है. दरअसल ये हिप्पोसुडोरिक एसिड और नॉर-हिप्पोसुडोरिक एसिड का कॉम्बिनेशन है. ये दोनों पदार्थ दरियाई घोड़े की हेल्थ की रक्षा करने में अहम भूमिका निभाते हैं.
मादा दरियाई घोड़ा 10 साल की उम्र के आसपास सेक्शुअल मैच्योरिटी तक पहुंच जाती हैं. वहीं इनकी प्रेग्नेंसी आठ महीने तक चलती हैं. जानकारी के मुताबिक ये हर दो साल में एक बच्चे को जन्म देती हैं. दरियाई घोड़े पानी में ही बच्चे को जन्म देते हैं. वहीं दूसरे जानवरों से बचने के लिए बच्चा लगभग सात साल की उम्र तक अपनी मां के साथ रहता है.
दरियाई घोड़े की संख्या बहुत कम
द इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर दरियाई घोड़ों को विलुप्त होने की दिशा में बढ़ रहे हैं. इनके मांस, चर्बी और बाहर के दांत के लिए अवैध तस्करी के कारण भी इनका शिकार किया जा रहा है.
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