इस भारतीय को मिला था पहला भारत रत्न, जानें कब हुई थी इसकी शुरुआत?
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के निधन के बाद उनके लिए भारत रत्न की मांग की जा रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में सबसे पहले भारत रत्न किसे दिया गया था और इसकी शुरूआत कब हुई थी.
देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' है. भारत के पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के निधन के बाद काग्रेंस पार्टी लगातार उन्हें लगातार भारत रत्न देने की मांग कर रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में पहली बार भारत रत्न की शुरूआत कब की गई थी और इसे सबसे पहले किसे दिया गया था. आज हम आपको भारत रत्न के बारे में बताएंगे.
किसने की थी भारत रत्न की शुरुआत?
बता दें कि भारत रत्न देने की प्रथा की शुरुआत प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के नेतृत्व में शुरू हुई थी. भारत में किसी क्षेत्र में असामान्य सेवाओं के लिए यह पुरस्कार दिया जाता है. दरअसल 1954 में यह सम्मान केवल जीवित व्यक्ति विशेष को दिया जाता था. लेकिन बाद में भारत रत्न मरणोपरांत दिए जाने का प्रावधान भी जोड़ा गया है. इतना ही नहीं ये देश का सर्वोच्च सम्मान है, इसलिए भारत के राजपत्र में अधिसूचना जारी करके इस पुरस्कार को प्राप्त करने वालों के नाम की आधिकारिक अनाउंसमेंट की जाती है. बता दें कि 1 साल में अधिकतम तीन व्यक्तियों को ही भारत रत्न दिया जा सकता है.
किसे मिला पहला भारत रत्न?
पहला भारत रत्न देश के पहले गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और महान वैज्ञानिक डॉ. चंद्रशेखर वेंकटरमन को दिया गया था.
कैसे होता है नामों का चयन?
बता दें कि भारत रत्न सम्मान के लिए देश के प्रधानमंत्री की ओर से नामों की सिफारिश की जाती है. इसके बाद इन नामों को राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है. राष्ट्रपति द्वारा ये तय किया जाता है कि किस व्यक्ति को उनके योगदान के लिए भारत रत्न देना है. इसके बाद राष्ट्रपति द्वारा उस व्यक्ति को यह सम्मान दिया जाता है. इसमें एक सनद (प्रमाण पत्र) और एक पदक प्राप्त होता है. पुरस्कार में कोई मौद्रिक अनुदान नहीं होता है.
भारत रत्न पदक का डिजाइन
भारत रत्न मेडल पीपल के पत्ते जैसा दिखता है. ये शुद्ध तांबे का होता है और इसकी लंबाई 5.8 सेमी लंबी, चौड़ाई 4.7 सेमी और मोटाई 3.1 मिमी होती है. वहीं इस पत्ते पर प्लैटिनम का चमकता सूर्य बना हुआ है, इसका किनारा भी प्लैटिनम का ही होता है. वहीं रत रत्न के दूसरे हिस्से यानी नीचे की तरफ चांदी से हिंदी में भारत रत्न लिखा होता है. इसके अलावा पीछे की तरफ अशोक स्तंभ के नीचे हिंदी में 'सत्यमेव जयते' लिखा होता है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के मुताबिक भारत रत्न, कोलकाता टकसाल तैयार करता है.
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