आपने अब तक जितने भी शहर या गांव देखे होंगे वहां इंसान रहते होंगे. लेकिन आज हम आपको जिस गांव की कहानी बता रहे हैं, वहां इंसान नहीं बल्कि पुतले रहते हैं. इन पुतलों को लोकल भाषा में बिजुका कहते हैं.इस गांव में अगर आप गलती से घुस गए तो लगेगा जैसे आप किसी दूसरी ही दुनिया में आ गए. सड़कों पर घरों में और खेतों में आपको ढेर सारे बिजुका ही बिजुका देखने को मिलेंगे. कई बार तो पर्यटक रात में इन्हें देख कर डर भी जाते हैं.
कहां है ये गांव?
ये अनोखा गांव है, जापान के शिकोकू टापू पर. इस गांव का नाम है नागोरो...लेकिन बिजुका की वजह से इसे Scarecrows गांव यानी पुतलों के गांव भी कहा जाता है. दरअसल, एक वक्त में इस गांव में बहुत से लोग रहा करत थे, लेकिन काम की तलाश में लोगों ने यहां से पलायन करना शुरू कर दिया और देखते ही देखते ये पूरा गांव खाली हो गया. लोगों ने अपना सूना पन कम करने के लिए पूरे गांव में जगह जगह बिजुका लगा दिए और आज इसी की वजह से पर्यटक इस गांव को देखने आते हैं.
इस गांव में कितने इंसान है
इतने बड़े इस गांव में इंसानों की बात करें तो वो 29 हैं, जबकि पूरे गांव में कम से कम 300 बिजुका हैं. दुकानों, बस स्टॉप और सार्वजिनक स्थालों पर आपको इंसान दिखाई दें या ना दें लेकिन बिजुका दिख जाएंगे. सबसे खास बात की इन पुतलों को कहीं से खरीद कर नहीं लाया गया है, बल्कि इन्हें गांव की ही एक बुजुर्ग इंसान सुकिमी ने बनाया है. सुकिमी की उम्र 69 साल से ज्यादा है. उनका कहना है कि उन्होंने ऐसा गांव के सूने पन को कम करने के लिए किया. सुकिनी मीडिया से बात करते हुए कहती हैं कि जब भी कभी वो अकेला और सूनापन महसूस करती हैं तो इन पुतलों से बात करने लगती हैं.
10 साल पहले शुरू हुई थी ये कहानी
पुतलों का गांव बनने की ये कहानी आज से 10 साल पहले शुरू हुई थी. उस वक्त सुकिमी ने पुतले सिर्फ स्कूलों में रखने के लिए बनाए, लेकिन बाद में जब इसे पसंद किया जाने लगा तो पूरे गांव के लिए सुकिमी ने पुतले बनाने शुरू कर दिए. आज स्थिति यह है कि इन्हीं पुतलों की वजह से इस छोटे से गांव को पूरी दुनिया जानती है और यहां दुनिया भर से सैलानी घूमने आते हैं.
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