इंसानों से लेकर जानवरों तक के लिए सोना बहुत जरूरी होता है. आपने महसूस किया होगा कि लंबे समय तक नहीं सोने पर शरीर में थकान महसूस होती है. लेकिन जब कोई इंसान पर्याप्त नींद ले लेता है, तो उसे शरीर में एनर्जी महसूस होती है. लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि आखिर सोने के वक्त आमतौर पर खांसी और छींक क्यों नहीं आती है. आज हम आपको उसके बारे में बताएंगे.


शरीर को आराम देने के लिए सोना जरूरी


बता दें कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जितना जरूरी खानपान और योगा है, उतना ही जरूरी नींद भी होता है. शरीर को पर्याप्त नींद मिलने से शरीर और दिमाग भी अच्छी तरह काम करता है. इतना ही नहीं नींद इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाता है और हार्मोन रेगुलेशन में मदद करता है. हालांकि आपने देखो होगा कि हर किसी की नींद अलग-अलग होती है. इतना ही नहीं कई लोग ज्यादा सोते हैं और कुछ लोग काफी कम सोते हैं.


कितने घंटे की नींद जरूरी


बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक नींद को लेकर अलग-अलग फैक्ट सामने आते हैं हैं. दरअसल नींद काफी हद तक लाइफस्टाइल, उम्र और मेडिकल कंडीशन पर भी निर्भर करती है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक हर उम्र में अच्छी नींद की जरूरत होती है. जैसे एक्सपर्ट्स के मुताबिक एक नवजात शिशु को 14 से 17 घंटे की नींद की आवश्यकता होती है. वहीं जिनकी उम्र 4 से 11 महीने की है, उन्हें रोजाना 12-15 घंटे सोना चाहिए. 1 से 2 साल के बच्चों को कम से कम 11 से 14 घंटे तक सोना चाहिए. इसके अलावा 3 से 5 साल के बच्चों 10 से 13 घंटे, 6 से 12 साल के बच्चों 9-12 घंटे, 13 से 18 साल तक के बच्चों को 8 से 10 घंटे की भरपूर नींद, वहीं 18 से 60 साल तक वयस्क लोगों का कम से कम 7 से 9 घंटे तक सोना चाहिए. इसके अलावा 61 साल से ज्यादा उम्र में 7 से 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए.


नींद में नहीं आती है खांसी-छींक


आपने आमतौर पर देखा होगा कि नींद के समय खांसी और छींक नहीं आती है. लेकिन क्या आप इसके पीछे की वजह जानते हैं. बता दें कि जब इंसान सोता है, तो उसके शरीर के अधिकांश अंग आराम कर रहे होते हैं. इसीलिए सोते समय छींक नहीं आती है, क्योंकि छींकने में मदद करने वाली नसें आराम की अवस्था में होती हैं. हालांकि नींद के समय हल्की छींक आने की संभावना हो सकती है. लेकिन गहरी नींद में छींक आना असंभव होता है. लेकिन कई बार किसी बीमारी या एलर्जी के कारण रात में खांसी आ सकती है. 


कब आती है छींक?


अब सवाल है कि आखिर छींक कब आती है. बता दें कि नाक में एक पतली सी म्यूकस नाम की झिल्ली होती है. जिसके सेल्स और टिश्यूज बहुत ही ज्यादा सेंसेटिव होते हैं. जब इस टिश्यूज या सेल्स में बाहर कि कोई भी धूल या कण आकर चिपकता है, तो छींक आती है. उदाहरण के लिए समझे कि जैसे ही कोई बाहरी कण या धूल नाक में चिपकती है, तो नाक में इरिटेशन होने लगता है और तुरंत दिमाग को मैसेज जाता है. फिर दिमाग मांसपेशियों को सिग्नल देती हैं कि जल्दी से इस धूल को बाहर निकालो. जिसके बाद छींक आती है. वहीं सोने के वक्त ये सभी मांसपेशियां आराम कर रहे होते हैं.


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