फूल का मतलब सुंदरता, खुशबू होता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कोई फूल बहुत ज्यादा बदबूदार हो सकता है? आज हम आपको एक ऐसे फूल के बारे में बताने वाले हैं, जो कई सालों में एक बार होता है. ये फूल इतना दुलर्भ है कि लोग टिकट खरीदकर लाइन लगाकर इसे देखने आते है. आज हम आपको बताएंगे कि ये दुलर्भ फूल कहां पर मौजदू है और इसकी खासियत क्या है.
बदबूदार फूल
बता दें कि दुनिया का सबसे दुर्लभ और बदबूदार फूल इन दिनों अमेरिका समेत कई देशों में खिला हुआ है. जी हां बदबूदार फूल. अमेरिका से लेकर इंडोनेशिया तक लोग लाइन लगाकर और टिकट खरीदकर इसको देखते हैं. दरअसल ये फूल कई सालों में ये एक बार खिलता है. भारत में केरल में भी ये 08 साल पहले खिला था. जानकारी के मुताबिक इस फूल का वजन 90 किलो तक होता है और ऊंचाई तीन मीटर तक होती है.
संयुक्त राज्य अमेरिका के लासएंजिल्स स्थित वनस्पति उद्यान में जहां आजकल ये खिला हुआ है, वहां रात में साफतौर पर हवा में शव सरीखी बदबू फैली रहती है. इसी वजह से इसे दुर्गंधयुक्त "लाश फूल" भी कहते हैं. हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि इसकी गंध सड़े हुए पनीर जैसी होती है. वहीं कुछ लोग इस बदबू को सड़ते मांस की तरह भी फील करते हैं. इसे देखते समय आमतौर पर लोग नाक बंद कर लेते हैं.
इस फूल की खासियत
ये फूल दुनिया का सबसे दुर्लभ फूल होने के साथ सबसे लंबा फूल भी है. आमतौर पर इसकी ऊंचाई 12 फीट यानि तीन मीटर तक होती है. हालांकि ये बहुत कम दिनों के लिए खिलता है. इसके खास आकार के कारण इसे टाइटन लिंग फूल भी कहा जाता है. वैसे ये इंडोनेशिया के सुमात्रा के जंगलों में ज्यादा खिलता है.
देखने के लिए भीड़
ये फूल हमेशा नहीं खिलता है, इसलिए इसको देखने के लिए लाइन लगती है. यूएस बोटेनिक गार्डन में इसके कई फूल खिलते हैं. इंडोनेशिया के सुमात्रा में इसे देखने वालों की भीड़ लग जाती है. भारत के केरल में भी ये आठ साल पहले जब खिला था, तो लोग लाइन लगाकर देखने जाते थे. जानकारी के मुताबिक अमेरिका में 2024 का पहला फूल 24 अप्रैल की शाम को खुला था. जिसकी लंबाई 85 इंच थी. अमेरिका में भी करीब 06 साल के बाद ये फूल खिला है.
कम समय के लिए खिलता है फूल
बता दें कि ये फूल सिर्फ 03-04 दिन तक ही दिखाई देता है. इसके बाद ये फिर गिरने लगता है. अमेरिका की संस्था यूएस बॉटनिकल गार्डन का कहना है कि 2-3 दिन के लिए जब खिलता है, उस वक्त देखने वालों की भीड़ लग जाती है. इसका वैज्ञानिक नाम मोर्फोफैलस टाइटेनम है. वैज्ञानिकों के मुताबिक 100 से अधिक वर्षों में ये 1889 से 2008 तक ये केवल 157 बार खिला है.
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