आपने अपनी जिंदगी में एक से बढ़कर एक महंगे-महंगे कपड़ों के बारे में सुना होगा, उन्हें देखा होगा और शायद पहना भी होगा. कई कपड़े इसलिए महंगे होते हैं... क्योंकि वह जिस ब्रांड के होते हैं उसकी वैल्यू बहुत ज्यादा होती है. तो वहीं कई कपड़े इसलिए बहुत ज्यादा महंगे होते हैं, क्योंकि उन कपड़ों पर ज्वेलरी से कढ़ाई की गई होती है. लेकिन कई कपड़े ऐसे होते हैं, जिनकी महंगाई उनकी फैब्रिक की वजह से होती है. ऐसी ही एक फैब्रिक है विकुना... इस फैब्रिक को दुनिया की सबसे महंगी फैब्रिक कहा जाता है. इसकी कीमत इतनी ज्यादा होती है कि इससे बने एक मोजे को खरीदने के लिए आपको अपनी गाड़ी तक बेचनी पड़ जाए.


कितना महंगा है यह फैब्रिक


दुनिया के सबसे महंगे फैब्रिक विकुना की कीमत का अंदाजा आप उससे बने कपड़ों की कीमत से लगा सकते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस फैब्रिक से बने सिर्फ मोजे की कीमत 80000 से शुरू होती है. यानी अगर आप इस फैब्रिक से बनी टी-शर्ट खरीदना चाहते हैं तो आपको कई लाख रुपए चुकाने पड़ जाएंगे.


इटली की इस वेबसाइट पर मिल रहे हैं कपड़े


विकुना फैब्रिक से बने कपड़े इटली की एक कंपनी लोरो पियाना के आधिकारिक वेबसाइट Loro Piyana पर मिल रहे हैं. यहां एक जोड़ी मोजे की कीमत जहां 80000 रुपये से ज्यादा है. तो वहीं एक शर्ट की कीमत 5 लाख रुपये से ज्यादा है. जबकि एक पोलो नेक टी-शर्ट इस वेबसाइट पर 9 लाख से ज्यादा कीमत पर मिलेगी. इस फैब्रिक से बनी पेंट की कीमत 8 लाख से ज्यादा है. वहीं कोट तो आपको 11 लाख रुपए से ऊपर में मिलेगी.


यह फैब्रिक इतना महंगा क्यों है


विकुना फैब्रिक के इतने ज्यादा महंगा होने के पीछे की वजह है इसका ऊंट के उन से तैयार किया जाना. जिनके ऊन से इसे तैयार किया जाता है ये कोई आम ऊंट नहीं होते, बल्कि एक बेहद ही खास प्रजाति के ऊंट होते हैं, जो केवल दक्षिण अमेरिका के कुछ खास इलाकों में ही पाए जाते हैं. यह ऊंट तेजी से विलुप्त हो रहे हैं. साल 1960 में इन्हें दुर्लभ प्रजाति घोषित कर दिया गया था. जिसके बाद इसे पालने वालों के लिए नियम काफी सख्त कर दिए गए थे. इस ऊंट से निकलने वाले उन की मोटाई 12 से 14 माइक्रोन होती है. यह फैब्रिक इतना गर्म होता है कि आप बेहद कड़ाके की सर्दी में अगर इससे बनी जैकेट पहन लें तो आपको सर्दी छू भी नहीं पाएगी. इस फैब्रिक से बने कपड़ों के महंगे होने की एक वजह यह भी है कि अगर विकुना ऊन से कोई कोट बनाया जाए तो उसके लिए करीब 35 ऊंटों  का ऊन निकालना पड़ता है.


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