धरती पर मनुष्यों को शारीरिक रूप से किसी ना किसी दिक्कत का सामना अपने जीवन काल में करना ही पड़ता है. प्राचीन समय में चोट लगने से लेकर बीमारियों का इलाज अक्सर इंसान अपने इलाके के जड़ी-बुटियों से करते थे. वहीं राजा-महराजाओं के समय हर दरबार में वैद्य होते थे, जो अलग-अलग प्राकृतिक जड़ी-बुटियों से इलाज करते थे. वहीं आज के आधुनिक युग में इंसान को किसी भी तरह की दिक्कत होती है, तो वो सीधे डॉक्टर्स के पास जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि डॉक्टर आपकी पर्ची पर जो दवाई लिखता है, वो आप इंसानों को समझ में क्यों नहीं आता है. आज हम आपको इसके पीछे की वजह बताएंगे. 


डॉक्टर्स 


किसी भी व्यक्ति को हेल्थ से जुड़ा कोई भी दिक्कत होता है, तो वह व्यक्ति सबसे पहले डॉक्टर्स के पास जाता है. क्योंकि अलग-अलग क्षेत्रों में स्पेशलिस्ट डॉक्टर ही उस बीमारी का इलाज कर पाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि डॉक्टर्स अक्सर पर्ची पर ऐसी हैंडराइटिंग में दवाई क्यों लिखते हैं, जो आम इंसान को जल्दी समझ में नहीं आती है. 


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मेडिकल टर्म 


डॉक्टर्स जो भी दवाई लिखते हैं, उसका एक मेडिकल टर्म होता है. ये मेडिकल टर्म उस बीमारी से जुड़ा हुआ होता है. वहीं कई मेडिकल टर्म के स्पेलिंग इतने लंबे और बोझिल होते हैं कि वो हर किसी को स्पेलिंग के साथ याद नहीं हो सकता है. यही कारण है कि डॉक्टर्स इस तरीके से लिखते हैं कि उसका नाम गलत होने पर भी आप समझ नहीं पाते हैं. लेकिन कोड की वजह से मेडिकल स्टोर वाला समझ जाता है. 


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समय की कमी


इसके अलावा डॉक्टर्स को दिन-भर में बहुत सारे मरीजों को देखना पड़ता है और उनकी दवाई लिखनी होती है. ये भी कारण है कि डॉक्टर्स कम समय में दवाई लिखते हैं, अगर वो बिल्कुल एग्जाम की तरह लिखना शुरू करेंगे, तो उनका बहुत समय लग जाएगा. समय की कमी और हड़बड़ी के कारण ही डॉक्टरों की लिखावट खराब हो जाती है.


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हाथों के मसल्स का थकना 


आपने गौर किया होगा कि डॉक्टर्स लगातार एक मरीज के बाद दूसरे मरीज को देखते हैं. डॉक्टर्स जब लगातार कई घंटों तक मरीजों की दवाईयां लिखते हैं, तो उनके हाथ मसल्स थक जाते हैं. ये भी एक कारण है कि डॉक्टर्स की राइटिंग काफी खराब होती है. डॉक्टर्स लगातार लिखते हैं और कम समय हड़बड़ी के कारण उनकी लिखावट अक्सर खराब होती है. इसके अलावा उनके हाथों की मांसपेशियां भी थक जाती हैं.


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