मरी हुई मां के गर्भ को काटकर निकाला गया था यह राजा, जानें जहर की वजह से कैसे नाम पड़ा बिंदुसार?
भारत में 320 बीसी के दौरान ही पहला सीजेरियन बेबी हो गया था. जिससे चंद्रगुप्त मौर्य के पहले पुत्र बिंदुसार का जन्म हुआ था.
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में कई सालों पहले सीजेरियन के जरिए पहला बच्चा पैदा हुआ था. जो बाद में जाकर बहुत बड़ा राजा बना. दरअसल ये बच्चा और कोई नहीं बल्कि महान सम्राट चंद्रगुप्त का पहला पुत्र बिंदुसार था. तो चलिए इसके पीछे का इतिहास जानते हैं.
चाणक्य चंद्रगुप्त को खाने में देते थे जहर!
चाणक्य चंद्रगुप्त मौर्य के गुरू और उनके राजनीतिक सलाहकार भी थे. जैन साहित्य के अनुसार, चाणक्य चंद्रगुप्त मौर्य को खाने में कुछ बूंदे जहर की मिलाकर दिया करते थे. उस समय विषकन्याओं के जरिए राज्य को हथियाने का षणयंत्र रचा जाता था. चंद्रगुप्त पर यदि ऐसी कोई विपत्ती आए तो वो इस जहर को सहन कर सकें इसलिए चाणक्य ऐसा किया करते थे.
चंद्रगुप्त की पत्नी ने खाया जहर वाला खाना
चंद्रगुप्त चाणक्य की इस बात से अंजान थे. ऐसे में एक दिन वो भोजन कर रहे थे. वहींं उनकी पहली पत्नी द्रुधारा उस समय गर्भवती थीं और बस सात दिनों में उनके पहले पुत्र इस दुनिया में आने वाले थे. ऐसे में चाणक्य की जहर वाली बात से अंजान चंद्रगुप्त ने अपने पास बैठी अपनी पत्नी को भी अपनी थाली में से भोजन खिला दिया, लेकिन द्रुधारा को चंद्रगुप्त की तरह उतने विष की भी आदत नहीं थी. लिहाजा वो इस जहर को सहन नहींं कर पाईं और कुछ ही मिनटों में उनकी मृत्यु हो गई.
मृत शरीर से निकले बिंदुसार!
चाणक्य को उसी समय इसकी सूचना दी गई. जिसके बाद चाणक्य उसी समय आए और उन्होंने द्रुधारा का पेट चीरकर उनके बच्चे को बाहर निकाला, ताकि बच्चे को बचाया जा सके. हालांकि जब तक चाणक्य ने बच्चे को बाहर निकाला, उस समय तक जहर की एक बूंद बच्चे के सिर तक पहुंंच चुकी थी. जिसकी वजह से बच्चे के सिर पर एक स्थाई बिंदु जैसी आकृति बन गई. इसी वजह से उस नवजात शिशु का नाम बिंदुसार पड़ा. जिसे बाद में चंद्रगुप्त मौर्य ने अपनी राजगद्दी सौंपी थी. बिंदुसार एक कुशल शासक माने जाते थे.
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