Dara Shikoh: भारत में मुगल काल का स्वर्णिम इतिहास रहा है. सन 1526 से लेकर 1857 तक मुगलों ने भारत पर राज किया. अंग्रेजी हुकूमत के आने के बाद मुगल साम्राज्य खत्म हो गया. मुगल साम्राज्य में एक से बढ़कर एक बादशाह और शहजादे हुए जिनमें से कईयों ने इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया तो कई गुमनामी का हिस्सा बन गए.
सन् 1615 में मुगल साम्राज्य में एक शहजादे ने जन्म लिया था. जिसके पिता मुगल काल के प्रभावशाली राजाओं में से एक थे. लेकिन शहजादा राजनीतिक चीजों से दूर अपनी अलग पहचान बना रहा था. लोग इस शहजादे को पंडित जी कहकर बुलाया करते थे. क्यों कहा जाता था इस मुगल शहजादे को पंडित जी. चलिए जानते हैं क्या थी पूरी कहानी.
इस मुगल शहजादे को पंडित जी
20 मार्च साल 1615 को एक शहजादे ने शाहजहां के घर जन्म लिया. जिसका नाम रखा गया दारा शिकोह. दारा शिकोह शाहजहां का बड़ा बेटा था. जो बड़ा विद्वान माना जाता था. दारा शिकोह ने इस्लाम के अलावा भी कई अन्य धर्मों की पढ़ाई की खासतौर पर हिंदू धर्म से जुड़े सभी ग्रंंथ दारा शिकोह ने बड़े ही गहराई से पढ़े. दारा शिकोह ने उपनिषद और अन्य हिंदू धार्मिक शास्त्रों की पढ़ाई की.
इसके साथ ही उन्होंने उसने बहुत से हिंदू धर्म ग्रंथो का फारसी भाषा में अनुवाद भी करवाया. इसके चलते कई मुस्लिम धार्मिक गुरु उससे नाराज से तो वही हिंदू धर्म के लोग उसके काफी करीब आ गए थे. और यही कारण था कि मुगल सल्तनत के कई लोग उसे पंडित जी भी कहा करते थे.
अपने ही भाई ने कर दिया कत्ल
दारा शिकोह को सैन्य और प्रशासनिक मामलों में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी. लेकिन फिर भी शाहजहां अपने बड़े बेटे दारा शिकोह को राजा बनना चाहता था. क्योंकि उसकी नजर में दारा शिकोह एक समझदार और बुद्धिमान व्यक्ति था. जो हिंदुस्तान को बड़े ही अच्छे तरीके से चला सकता था.
लेकिन शाहजहां के छोटे बेटे औरंगजेब को यह बात रास नहीं आई उसे लगा कि दारा शिकोह अगर राजा बन गया तो इस्लाम धर्म खतरे में आ जाएगा. और इसी के चलते उसने अपने ही पिता को कैद कर लिया. और अपने भाई दारा शिकोह का सिर कलम कर दिया.
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