दुनिया में बहुत सारे ऐसे लोग हैं, जो साइंटिस्‍ट नहीं है. लेकिन उसके बावजूद वो साइंटिस्ट की तरह अलग-अलग चीजों की खोज करते रहते हैं. आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने वाले है, जो बीते 50 सालों से बर्फबारी को लेकर लगातार बहुत सारे आंकड़े इकट्ठा कर रहे हैं. ये आंकड़े वैज्ञानिकों के मुताबिक बहुत ज्यादा अहम है. 


कौन है ये शख्स


आज हम जिनके बारे में बात कर रहे हैं, वो कोलोराडो के बिली बर्र है. बिली बर्र एक सामान्‍य इंसान थे. लाइब्रेपी में एक छोटी सी नौकरी करते थे. इसके अलावा कुछ दिनों तक एक कंपनी में बिजनेस मैनेजर का भी काम क‍ि‍या है. लेकिन उन्‍हें आंकड़े इकट्ठा करने का बहुत शौक था. जब वे घर पर रहते थे, तो सामने स्‍कूल से गुजरने वाले बच्‍चों की संख्‍या ग‍िना करते थे. इसी दौरान एक दिन अचानक उनके मन में ख्‍याल आया क‍ि क्‍यों ना पहाड़ की ओर चला जाए. जिसके बाद वो रॉकी पर्वत की ओर चल पड़े थे. इस दौरान 12,600 फीट ऊंची इस पहाड़ी पर होने वाली बर्फबारी को एक छोटे से एनालॉग उपकरण से रिकॉर्ड करने लगे थे. इसके बाद उन्‍हें नोट करते थे. खासकर वो मौसम में बदलाव को नोटिस करते थे और हर एक चीज अपने नोटबुक पर लिखा करते थे.


तापमान को लेकर बहुत सारे आंकड़े


जानकारी के मुताबिक कुछ ही दिनों में उन्‍होंने वहां पर अपनी एक झोपड़ी बना ली थी. इस दौरान एक साइंटिस्‍ट की तरह डेटा जमा करने लगे थे. हालांकि उनका मकसद इसे क‍िसी वैज्ञान‍िक प्रयोग के ल‍िए देना नहीं था. उनके बारे में बहुत से लोग सिर्फ इतना जानते थे क‍ि वे एक साधु हैं. लोग उन्‍हें साधु बाबा की तरह पुकारा भी करते थे. लेकिन अचानक एक दिन अमेर‍िका के एक वैज्ञान‍िक की नजर उन पर पड़ी थी. उन्‍होंने पता लगाया और जब मिले तो देखकर हैरान हो गए थे. 73 साल के इस शख्‍स के पास मौसम को लेकर ऐसे-ऐसे डाटा थे क‍ि दुनियाभर में क‍िसी भी साइंटिस्‍ट के पास इतने डाटा नहीं थे. उन्‍होंने बताया क‍ि वेस्‍ट अमेरिका क्‍यों सूख रहा है. इसके अलावा तापमान कैसे बदल रहा है. जंगली फूलों के खिलने के समय के बारे में बताया था. इस दौरान उन्होंने जानवरों की गतिविधि के बारे में अनोखी जानकारी शेयर की थी. उन्होंने बताया क‍ि जब आप समझते हैं कि बर्फ पिघल रही है, लेकिन तब ऐसा नहीं होता है. यह सब जानकर साइंटिस्‍ट दंग रह गए थे.


दुनिया को कुछ देकर जाना चाहता 


बर्र ने बताया कि  मैं भले ही सामाज‍िक नहीं रहा, लेकिन दूसरों की परवाह करने की चाहत हमेशा थी. इसीलिए मैं उनकी मदद करना चाहता हूं. मैं ऐसी जगह तलाश रहा था, जहां शांत‍ि से काम क‍िया जा सके. कुछ दिन काम करने के बाद मुझे वह रास्‍ता मिल गया था. आज रॉकी माउंटेन बायोलॉजिकल लेबोरेटरी उन्‍हीं की वजह से है. यहां से हमें पता चलता है कि अमेर‍िका और दुनिया के अन्‍य ह‍िस्‍सों में मौसम कैसे बदलने वाला है. बर्र ने बताया कि  मेरा सारा सामान खराब हो रहा है, लेकिन मैं इन्‍हीं से अपने काम को जारी रखना चाहूंगा. मैं दुनिया को कुछ देकर जाना चाहता हूं.


 


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