अपनी अच्छी फोटो देखकर भला कौन नहीं खुश होता होगा. लेकिन कुछ लोगो का प्रेम कैमरा होता है, जिन्हें अपनी जगह दूसरों की फोटो खींचना पसंद होता है. वो नदियां,पहाड़,जंगल और आम लोग भी हो सकते हैं. कैमरा प्रेमियों के लिए हर साल 19 अगस्त के दिन विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाया जाता है. आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताएंगे, जिसे कैमरों से इतना प्रेम है कि उन्होंने कई देशों का कैमरा इकठ्ठा करके म्यूजियम खोला है. 


विश्व फोटोग्राफी दिवस


एक तस्वीर लाखों शब्दों के बराबर होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में पहली तस्वीर 1826 में खींची गई थी. आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया की पहली तस्वीर एक खिड़की से ली गई थी. जिसे फ्रेंच वैज्ञानिक जोसेफ नाइसफोर ने लिया था. हालांकि तस्वीर को हकीकत में बनाने का श्रेय वैज्ञानिक जोसेफ नाइसफोर और लुइस डॉगेर को ही जाता है. इन्होंने ही डॉगोरोटाइप प्रक्रिया का आविष्कार किया था. जो फोटोग्राफी की पहली प्रक्रिया है. इस अविष्कार की घोषणा 19 अगस्त 1839 को फ्रांसीसी सरकार ने की थी. इसी याद में हर साल इस दिन वर्ल्ड फोटोग्राफी डे मनाया जाता है.


कैमरों का संग्रह


बता दें कि अगर आपको फोटोग्राफी और कैमरे का शौक है, तो आप कैमरे का इतिहास, पुराने कैमरों और कैमरे के विकास की कहानी को देखने के लिए गुरुग्राम जा सकते हैं. यहां आपके लिए एक शानदार कैमरा म्यूजियम है. बता दें कि यह प्रदेश ही नहीं बल्कि देश का सबसे पहला और दुर्लभ कैमरों का विशाल संग्रहालय है.


कैसे हुई म्यूजियम की शुरुआत


गुरुग्राम के जाने-माने फोटोग्राफर आदित्य आर्य ने गुरुग्राम नगर निगम के सहयोग से सेक्टर-28 में साल 2018 में कैमरा म्यूजियम की स्थापना की थी. उन्होंने इसका नाम कैमरा म्यूजियो रखा था. यह संग्रहालय कुल साढ़े तीन मंज़िल में बनाया गया है. म्यूजियम के डायरेक्टर आदित्य आर्य के मुताबिक इस अनोखे संग्रहालय में 3000 से अधिक विंटेज कैमरों के कलेक्शन और अन्य वस्तुओं के साथ प्रदर्शनी लगी है. इस प्रदर्शनी में पुराने समय से लेकर आज तक के कैमरे, फोटोग्राफी के विविध उपकरण, 200 साल से भी ज्यादा पुरानी फोटोग्राफी तस्वीरें, पुराने समय के फोटोग्राफी स्टूडियो के बारे में जानकारी मिलती है.


100 से ज्यादा देशों के कैमरे


गुरुग्राम के कैमरा म्यूजियम में एक ही स्थान पर 100 से अधिक देशों के प्राचीन कैमरे लोगों के देखने के लिए प्रदर्शित किए गए हैं. यहां के केंद्रीय हॉल में एक शानदार फानूस लगाया गया है, जो कि कैमरों से बनाया गया है. यह एक ऐसा केंद्र है, जिसके माध्यम से कला, नए विचार और हमारे समय के फोटोग्राफी से संबंधित विषयों का पता चलता है. पेशेवरों और फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए फोटोग्राफी को सीखने और अनुभव करने का दुर्लभ अवसर प्रदान करता है. इस म्यूजियम में आपको पुराने जमाने में जासूसी के लिए बनाए गए घड़ी के आकार वाले विदेशी कैमरे से लेकर दूसरे विश्वयुद्ध में जापान के हिरोशिमा-नागासाकी पर अमेरिका द्वारा परमाणु बम गिराने की एयरक्राफ्ट से तस्वीर लेने वाला के-20 कैमरा भी देखने को मिलेगा.


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