इस राज्य में भाई के साथ भाभी को भी बांधी जाती है राखी, दिलचस्प है कारण
रक्षाबंधन का पर्व देशभर में मनाया जाता है. ये पर्व भाई-बहन के प्रेम को दर्शाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि किस जगह पर भाई के साथ भाभी को राखी बांधा जाता है.
हर साल रक्षाबंधन का पर्व बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है. रक्षाबंधन का पर्व हर एक के लिए काफी खास होता है. इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर रेशम का धागा बांधती है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे समुदाय के बारे में बताने वाले हैं, जहां बहन अपने भाई के अलावा भाभी, भतीजी व भतीजे को भी राखी बांधती है. राखी बांधने के साथ-साथ वो अपनी भाभी, भाई, भतीजे को तोहफे भी देती है. जी हां, जानिए कहां पर इस तरह से राखी का पर्व मनाया जाता है.
रक्षाबंधन का पर्व
रक्षाबंधन का पर्व हर किसी के लिए काफी खास होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मारवाड़ी समाज कैसे राखी का पर्व मनाता है. दरअसल रक्षाबंधन मारवाड़ियों के लिए खास पर्व होता है. यहां इस पर्व का इंतजार करते है, क्योंकि इनके लिए यह सिर्फ भाई को राखी बांधने का त्योहार नहीं होता है. बल्कि ये पूरे परिवार को एक साथ लाकर परिवार के हर एक सदस्य को राखी बांधकर उत्सव मनाने का दिन होता है.
भाभी को राखी बांधना
झारखंड में भाई के साथ-साथ बहन और भाभी को भी राखी बांधते हैं, जिसे लुम्बां कहा जाता है. वहीं भतीजा व भतीजी को भी राखी बांधती हैं. यह मान्यता श्रीकृष्ण के दौर से चली आ रही है. दरअसल कृष्ण की बहन सुभद्रा ने रुक्मणी को राखी बांधी थी. सुभद्रा ने कृष्ण व रुक्मणी को एक साथ राखी बांध कर भाई और भाभी का सम्मान किया था. वही मारवाड़ी समुदाय में भगवान कृष्ण को मानने वाले अधिक होते हैं. इसी मान्यता के आधार पर यहां पर भाभियों को राखी बांधा जाता है. इससे न सिर्फ ननद और भाभी के बीच में प्यार बना रहता है. बल्कि, यह पूरे परिवार को एक रेशम के धागे में बांधने का काम करता है.
भाभी, भतीजे व भतीजी को तोहफे
भाई रक्षाबंधन पर अपनी बहन को उपहार देता है, लेकिन यहां पर ननद अपनी भाभी को लुम्बां बांध कर उसे तोहफे भी देती है. अपने भतीजी व भतीजे को भी राखी बांध कर तोहफे देती है. दरअसल तोहफा देना यह बताता है कि ननद अपनी भाभी की कितनी फिक्र करती है. वो उससे कितना प्यार करती है. क्योंकि जब घर में महिलाएं खुश रहती है, तो घर मंदिर बन जाता है. उन्होंने आगे बताया कि रक्षाबंधन के दिन भाई को राखी बांधने के पहले हम सबसे पहले कृष्ण को राखी समर्पित करते हैं. वहीं अगर घर में लड्डू गोपाल है, तो उन्हें समर्पित करते हैं. विधि विधान से कृष्ण की पूजा होती है. इसके बाद ही भाइयों का राखी बांधने का सिलसिला शुरू होता है.