पाकिस्तान के इस गांव का है अपना खुद का संविधान, बेहद कड़े हैं कानून
हर देश में एक संविधान चलता है, लेकिन पाकिस्तान में एक गांव ऐसा भी है जिसका देश से अलग संविधान और कानून है. चलिए इस गांव के बारे में जानते हैं.
हर देश का अपना संविधान और अपने नियम और कानून होते हैं, लेकिन पाकिस्तान में स्थित एक ऐसा गांव है जहां देश का संविधान लागू नहीं होता. इस गांव का अपना संविधान और अपने नियम-कानून हैं. यह गांव अपनी अनोखी पहचान और कानूनों के लिए जाना जाता है. हालांकि यहां के नियम और कानून बहुत सख्त हैं और यहां रहने वाले लोगों को इन्हें मानना पड़ता है. ऐसे में चलिए इस गांव और यहां के नियम-कानून के बारे में जानते हैं.
गांव का इतिहास और परंपराएं
यह गांव सदियों से अपनी अनूठी परंपराओं और रीति-रिवाजों को निभाता आ रहा है. दरअसल हम पाकिस्तान के अंसार मीणा गांव की बात कर रहे हैं. अंसार मीरा एक छोटा सा गांव है, जो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के इलाके में स्थित है. यह गांव अपने अनोखे प्रशासन और कड़े कानूनों के कारण हमेशा चर्चा में रहता है. यहां के लोग अपने जीवन के हर पहलू को एक खास तरह के संविधान के तहत नियंत्रित करते हैं, जो पूरी तरह से गांव के स्थानीय नेताओं द्वारा बनाया और लागू किया जाता है. यह एक प्रकार का स्वशासन है, जहां पर राज्य या सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता.
गांव के लोग अपनी आर्थिक गतिविधियों, सामाजिक संरचनाओं, और सांस्कृतिक परंपराओं को अपने संविधान के अनुसार ही चलाते हैं. इसके अलावा, गांव में रहने वाले लोग यहां के कड़े कानूनों का पालन करते हैं, जो उनके लिए सुरक्षा और शांति का प्रतीक हैं.
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गांव में क्या है कानून?
अंसार मीणा गांव में ग्रामीणों से बातचीत करके सभी की राय मशविरा करने के बाद 20 सूत्रीय संविधान लागू किया गया है. जिसमें दहेज प्रथा, हवाई फायरिंग, छात्रों के स्मार्ट फोन पर रोक लगाई गई है. इसके बाद निकाह में खर्चों को कम करने के लिए नियम भी बनाए गए हैं. किसी का इंतकाल होने के बाद संबंधी बातों पर भी कुछ नियम बनाए गए हैं. गांव वाले बेहद खुश हैं. वो इन नियमों को मानते हैं. उनका कहना है कि इनसे गांववालों की स्थिति सुधरेगी. बेवजह के खर्चे बंद होंगे. खैबर पख्तूनख्वा के बनीर जिले के चघरजी तहसील के गांव जिरगा में दहेज पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है.
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गांव के ये नियम हैं बेहद खास
अंसार मीणा गांव में बेहद खास नियम हैं. यहां के लोग किसी भी शादी में व्यवहार के तौर पर 100 रुपये से ज्यादा नहीं दे सकते. इसके अलावा यहां शादियों में गांव में चावल बांटने की प्रथा को भी बंद कर दिया गया है. इस गांव में शादी के खर्च को भी कम कर दिया गया गया है. जहां खाने-पीने में लाखों रुपये खर्च नहीं करने पड़ते और मेहमानों का स्वागत चाय और बिस्किट से ही किया जाता है. यहां नए संविधान के तहत 14 साल से कम उम्र के बच्चों को मोटरसाइकिल चलाने की अनुमति नहीं होगी, न ही स्टूडेंटस मोबाइल का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा इस गांव में अजनबी प्रवेश नहीं कर सकते और नशे के कारोबार का भी बहिष्कार किया जाता है.
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