डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को फिर फरलो पर 21 दिन के लिए जेल से बाहर आया है. राम रहीम हत्या और बलात्कार के मामले में दोषी है और उसे 20 सालों की सजा मिली है. पिछले दिनों कई बार जेल से बाहर आ चुका है. जिसके बाद काफी ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर किन मामलों में अपराधियों को पैरोल और फरलो नहीं मिलती. चलिए जानते हैं.
कब अपराधियों को नहीं मिलती पैरोल और फरलो?
बता दें सितंबर 2020 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पेरोल और फरलो को लेकर नई गाइडलाइन जारी की थी, जिसमें ये बताया गया था कि किसी कैदी को कब पैरलो और फरलो नहीं दी जाएगी. इसके अनुसार, वो कैदी जिनकी मौजूदगी समाज में खतरनाक हो या फिर जिनके होने से शांति व्यवस्था और कानून व्यवस्था बिगड़ने का डर हो उन्हें पैरोल या फरलो नहीं दी जानी चाहिए.
इसके तहत ऐसे कैदी जो किसी तरह का हमला करने या फिर दंगा भड़काने, विद्रोह या फरार होने की कोशिश करने जैसी हिंसा से जुड़े अपराधों में शामिल हों, उन्हें रिहा नहीं किया जाना चाहिए. डकैती, आतंकवाद संबंधी अपराध, फिरौती के लिए अपहरण, मादक द्रव्यों की कारोबारी मात्रा में तस्करी जैसे गंभीर अपराधों के दोषी या आरोपी कैदी को रिहा नहीं किया जाना चाहिए. साथ ही वो कैदी जिनके पैरोल और फरलो की अवधि को पूरा करके वापस आने में संशय हो उन्हें भी रिहा नहीं किया जाना चाहिए. इनमें यौन अपराधों, हत्या, बच्चों के अपहरण और हिंसा जैसे गंभीर अपराधों के मामलों में एक समिति सारे तथ्यों को ध्यान में रखकर पैरोल या फरलो देने या नहीं देने का फैसला कर सकती है. गृह मंत्रालय ने साल 2020 में बताया था कि कैदियों की रिहाई के बाद फिर से अपराध में संलिप्त होने को लेकर भी चिंताएं जाहिर की गई हैं, क्योंकि कुछ मामलों में जेल से पैरोल फरलो या सजा की अवधि पूरी होने से पहले रिहाई के बाद कैदी फिर से आपराधिक गतिविधियों में शामिल पाए गए हैं.
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