Three Criminal Laws: 1860 में बनी आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता, सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा रंहिता और 1872 के इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य संहिता लेने वाले हैं. एक जुलाई से ये तीनों कानून लागू हो जाएंगे. इन तीनों नए कानूनों को लाने का खास मकसद अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे आउटडेटेड नियम कायदों को हटाना और उनकी जगह आज की जरूरत के मुताबिक कानून लागू करना है.
इन तीनों कानूनों के लागू होने के बाद क्रिमिनल लॉ में काफी कुछ बदल जाएगा. जैसे अब देशभर में कही भी जीरो एफआएआर दर्ज की जा सकेगी. वहीं कुछ मामलों में पुलिस को आरोपी की गिरफ्तारी के लिए अपने सीनियर से मंजूरी नहीं लेनी पड़ेगी. इसके अलावा पुलिस कुछ आरोपियों को हथकड़ी लगाकर भी गिरफ्तार कर सकती है. चलिए जानते हैं कानून में वो क्या बदलाव होगा जिससे पुलिस कुछ आरोपियों को हथकड़ी लगा सकती है.
हथकड़ी को लेकर क्या है नियम?
सुप्रीम कोर्ट ने 1980 में प्रेम शंकर शुक्ला बनाम दिल्ली सरकार मामले में फैसला सुनाते हुए हथकड़ी के इस्तेमाल को अनुच्छेद 21 के तहत असंवैधानिक करार दिया था. अपने फैसले में कोर्ट ने कहा था कि यदि किसी कैदी को हथकड़ी लगाने की जरूरत महसूस होती है तो उसका कारण दर्ज करना होगा और मजिस्ट्रेस से अनुमति लेनी होगी. अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 43 (3) में गिरफ्तारी या अदालत में पेश करते समय कैदी को हथकड़ी लगाने का प्रावधान किया गया है.
किन अपराधियों को लगायी जा सकेगी हथकड़ी?
इस धारा के अनुसार, यदि कोई कैदी आदतन अपराधी है या फिर पहले से हिरासत से भाग चुका है या फिर संगठित अपराध या फिर आतंकवादी गतिविधि में शामिल रहा है, किसी ड्रग्स से जुड़े अपराध करता आया है, हथियार या गोला बारूद, हत्या, दुष्कर्म, एसिड अटैक, नकली सिक्कों और नोटों की तस्करी, मानव तस्करी, बच्चों के खिलाफ यौन अपराध या फिर राज्य के खिलाफ अपराध में शामिल रहा हो तो ऐसे कैदी को हथकड़ी लगाकर गिरफ्तार किया जा सकता है या फिर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जा सकता है.
इसके अलावा अबतक किसी अपराधी पर ट्रायल तभी शुरू होता था जब वो अदालत में मौजूद हो, लेकिन अब नए कानून के तहत किसी भगौड़ या फरार अपराधी पर भी केस चलाया जा सकेगा. इसी तरह नए कानून के तहत काफी कुछ बदलाव देखने को मिलेंगे.
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