देश में 1 जुलाई 2024 से डेढ़ सौ साल से ज्यादा समय से चली आ रही आईपीसी को खत्म कर तीन नए कानूनों को लागू कर दिया गया है. हालांकि इसमें कुछ ऐसे ग्रे एरिया भी हैं जिनपर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं. इन्हीं में से एक अप्राकृतिक सेक्स के लिए कोई प्रावधान नहीं होना भी है. मसलन यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति से जबदस्ती अप्राकृतिक संबंध बनाता है तो उसपर कोई कार्रवाई नहीं हो सकती.


पुरुषों और ट्रांसजेंडरों के साथ बलात्कार गैरकानूनी नहीं?


हमारे देश में पिछले कुछ समय में जबरन अप्राकृतिक संबंध बनाने के कई मामले सामने आए हैं. जिसमें आरोपी के खिलाफ कार्रवाई के लिए कोई ठोस प्रावधान नहीं था. हालांकि नए समय के हिसाब से बनाए गए भारतीय न्याय संहिता, भारतीय सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम से ये उम्मीद की जा रही थी कि उनमें उन पीड़ित पुरुषों और ट्रांसजेंडरों के हक में कोई कानून बनाया जाएगा. हालांकि अब इन तीन नए कानूनों पर भी सवाल उठने लगे हैं. दरअसल BNS में 'अप्राकृतिक सेक्स' शीर्षक वाली IPC की धारा 377 को पूरी तरह से हटा दिया है. ऐसे में अब एक पुरुष का दूसरे पुरुष से रेप या ट्रांसजेंडर से रेप के पीड़ितों के लिए कोई कानून नहीं है.


पीड़ितों के पास नहीं है विकल्प?


संसदीय उप-समिति ने सुझाव दिया था कि यदि कोई पुरुष दूसरे पुरुष के साथ बिना सहमति के अप्राकृतिक संबंध बनाता है या कोई पति अपनी पत्नी से जबरन अप्राकृतिक सेक्स करता है तो उस पर 377 लागू किया जा सके ऐसा प्रावधान होना जरूरी है. हालांकि BNS में इसका कोई प्रावधान नहीं किया गया है. यानी अब अप्राकृतिक संबंध, समलैंगिकता आदि के पीड़ितों के पास कोई उपाय नहीं होगा कि वो आरोपी को सजा दिलवा सकें.


नए कानूनों को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी


बता दें कि तीन नए आपराधिक कानून- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदला गया है. जो आजादी के 77 साल बाद एक महत्वपूर्ण कानूनी बदलाव है. इन कानूनों को 25 दिसंबर, 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी थी.                                                                                              


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