सिगरेट पीने वालों को अब जगह देखकर स्मोकिंग करनी होती है. यानी वो पब्लिक प्लेस पर स्मोकिंग नहीं कर सकते. हालांकि ऐसा हमेशा से नहीं है. एक समय ऐसा था जब कोई भी व्यक्ति कहीं भी यानी ट्रेन, बस, रेस्तरां या किसी भी सार्वजनिक जगह पर स्मोकिंग कर लेता था, लेकिन अदालत के एक फैसले ने ये सबकुछ बदल दिया और अब लोगों को स्मोकिंग करने से पहले सार्वजनिक जगह से दूर जाना पड़ता है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि अदालत ने ये फैसला कब सुनाया.


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सार्वजनिक स्थानों पर स्मोकिंग करने पर कब लगाई गई रोक?


गौरतलब है कि आज से पच्चीस साल पहले लगभग साल 1999 तक लोग सार्वजनिक स्थानों पर धुम्रपान कर सकते थे, लेकिन इसी साल न्यायमूर्ति नारायण कुरुप ने सार्वजनिक स्थानों पर धुम्रपान पर प्रतिबंध लगाने का फैसला सुनाया. जिसके बाद सब बदल गया और ट्रेन, रेस्तरां जैसी सार्वजनिक जगहों पर स्मोकिंग करने पर रोक लगा दी गई. इसके बाद भारत सरकार ने भी साल 2008 में ऐलान किया कि सार्वजनिक स्थानों पर कोई स्मोकिंग नहीं कर सकता. यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो उसे जुर्माना देना पड़ेगा.


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आखिर क्यों सार्वजनिक स्थानों पर स्मोकिंग की गई बंद?


धूम्रपान सेहत के लिए बहुत खतरनाक है. यह सिर्फ स्मोकिंग करने वाले व्यक्ति को ही नहीं, बल्कि उनके आस-पास खड़े लोगों को भी प्रभावित करता है. निष्क्रिय धूम्रपान, यानी जब कोई व्यक्ति स्मोकिंग न करके भी धूम्रपान के धुएं में रहता है, उसे कई बीमारियां हो सकती हैं. इसलिए सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान पर रोक लगाना जरूरी था. यही कारण था कि ये फैसला लिया गया.


वहीं इस फैसले के बाद सरकार और स्वास्थ्य संगठन लोगों को धूम्रपान के खतरों के बारे में जागरूक कर रहे हैं. अलग-अलग कार्यक्रमों के जरिए लोगों को बताया जा रहा है कि धूम्रपान कितना खतरनाक है, खासकर बच्चों और युवाओं को इससे दूर रखने के लिए खास कदम उठाए जा रहे हैं.                                                                               


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