भारतीय रेलवे ने हाई स्पीड ट्रेनों को लेकर काफी काम किया है और देश में कई हाई स्पीड ट्रेनों की शुरुआत भी हुई है. वंदे भारत जैसी हाई स्पीड ट्रेन आने के बाद अब टिल्टिंग ट्रेन की बात हो रही है. कई रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में जल्द ही टिल्टिंग ट्रेन की शुरुआत हो सकती है और इस टेक्नोलॉजी के आने से दूरियां और भी कम लगने लगेगी और सफर और भी कम होने लग जाएगा. ऐसे में सवाल है कि आखिर ये टिल्टिंग ट्रेन होती क्या है और इसका किस तरह से फायदा मिलता है. तो आज हम आपको टिल्टिंग ट्रेन से जुड़ी हर एक बात के बारे में बता रहे हैं, जिससे आप समझ जाएंगे कि यह नॉर्मल ट्रेन से अलग कैसे होती है. 


क्या है टिल्टिंग ट्रेन की टेक्नोलॉजी?


अभी भारत की प्रीमियम ट्रेनों में से एक वंदे भारत ट्रेनों में भी यह टेक्नोलॉजी लाने पर काम चल रहा है. नई ट्रेनों के साथ ही वंदे भारत में भी ये टेक्नोलॉजी विकसित की जाएगी, ताकि वो भी टिल्टिंग ट्रेन की तरह काम कर सके. यह खास तरह की टेक्नोलॉजी होती है, जिससे घुमावदार ट्रेन में ट्रेन को चलाने में मदद मिलती है. इससे घुमावदार ट्रैक पर भी तेज स्पीड में ट्रेन जा सकती है. अभी तेज स्पीड ट्रेन को घुमावदार ट्रैक पर कम स्पीड में गुजारना होता है, लेकिन इस तकनीक के आने के बाद ट्रेन उसी स्पीड में घुमावदार ट्रैक से भी गुजर सकेगी. इससे टाइम की काफी बचत होगी. 


रिपोर्ट्स के अनुसार, जब तेज स्पीड में घुमावदार ट्रैक से ट्रेन गुजरती है तो अंदर रखे सामान के स्लाइड होने का डर रहता है और जो लोग खड़े रहते हैं, उनके बैलेंस गड़बड़ाने का डर रहता है. इस वजह से ट्रेन को धीरे स्पीड में घुमाया जाता है, लेकिन टिल्टिंग ट्रेन में या इस टेक्नोलॉजी वाली ट्रेन में यह दिक्कत नहीं होगी. इससे ट्रेन मुड़ाव के हिसाब से खुद ही अपनी बैलेंस सेट कर पाएगी. इनकी खास बात ये होगी कि ये ब्रॉड गेज पटरियों पर भी आसानी से चल पाएंगी और हाई स्पीड से अपना सफर पूरा कर पाएगी. यह मोटरसाइकिल की तरह काम काम करेगी और घुमाव पर हल्के झुकाव के साथ ट्रेन आगे बढ़ेगी. 


बता दें कि अभी इटली, पुर्तगाल, फीनलैंड, रूस, चेक रिपब्लिक, यूके, स्विट्जरलैंड, चीन, जर्मनी जैसे देशों में इस टेक्नोलॉजी का इसतेमाल हो रहा है, जिससे यात्रियों को काफी फायदा मिल रहा है. रिपोर्ट्स के अनुसार, इस ट्रेन का मुख्य उद्देश्य घुमाव के दौरान ट्रेन का बैलेंस बनाए रखना है. अब देखना है कि ये ट्रेनें भारत में कब एंट्री कर सकती हैं, वैसे माना जा रहा है कि 2025 तक ये टेक्नोलॉजी भारतीय ट्रैक पर भी देखने को मिलेगी. 


यह भी पढ़ें- क्या सही में चांद को देखकर गुर्राते हैं भेड़िया? ऐसी तस्वीर तो आपने देखी होगी, आज जानिए उसकी सच्चाई