भारत के इस योद्धा ने बनाया था दुनिया का पहला रॉकेट, अंग्रेजों के लिए बन गया था काल- NASA में मौजूद है तस्वीर
World's First Rocket: दुनियाभर के तमाम देश आज बड़े-बड़े रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में पहुंच रहे हैं, भारत ने हाल ही में चांद पर अपना लैंडर उतारा था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पहला रॉकेट किसने बनाया था?
![भारत के इस योद्धा ने बनाया था दुनिया का पहला रॉकेट, अंग्रेजों के लिए बन गया था काल- NASA में मौजूद है तस्वीर Tipu Sultan had made worlds first rocket it becomes a disaster for British Govt photo in NASA Rocket man of India भारत के इस योद्धा ने बनाया था दुनिया का पहला रॉकेट, अंग्रेजों के लिए बन गया था काल- NASA में मौजूद है तस्वीर](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/09/04/d80bbc900d4c23d8e030c0747e3f62a71693811630164356_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
World's First Rocket: भारत के मिशन चंद्रयान-3 के सफल होने के बाद स्पेस को लेकर लोगों की दिलचस्पी लगातार बढ़ती जा रही है, गूगल पर लोग इससे जुड़े तमाम सवालों का जवाब जानने की कोशिश कर रहे हैं. मिशन मून के बाद भारत ने अपना ADITYA L-1 मिशन भी लॉन्च कर दिया है, जो सूरज की स्टडी करेगा. इन स्पेसक्राफ्ट और रोवर्स को भारी भरकम रॉकेट की मदद से लाखों कमी दूर अंतरिक्ष में भेजा जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया का पहला रॉकेट किसने और कैसे तैयार किया था?
NASA में टीपू सुल्तान की सेना की तस्वीर
आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन मैसूर के शेर के नाम से मशहूर टीपू सुल्तान के नाम ये उपलब्धि दर्ज है. दुनिया का पहला रॉकेट टीपू सुल्तान ने तैयार किया था. जिसे उन्होंने युद्ध में इस्तेमाल भी किया था. उनके युद्ध में इस्तेमाल किए इस रॉकेट की तस्वीर आज भी नासा मुख्यालय में मौजूद है.
अंग्रेजों के खिलाफ किया इस्तेमाल
टीपू सुल्तान को लेकर भले ही कई तरह की बहस चलती हो, लेकिन वो एक जांबाज योद्धा थे, जिन्होंने अंग्रेजों के सामने घुटने टेकने से इनकार कर दिया था. टीपू के पिता हैदर अली ने अंग्रेजों के खिलाफ कई जंग लड़ीं, इसके बाद जब अंग्रेजी सेना टीपू सुल्तान की सेना पर भारी पड़ने लगी तो उन्होंने जंग में पहली बार रॉकेट का इस्तेमाल किया. अंग्रेज इस हथियार को देखकर दंग रह गए थे.
कैसे बनाए गए रॉकेट?
दरअसल उस दौर में रॉकेट की तरह दिखने वाली चीज का इस्तेमाल युद्ध में सिग्नल देने के लिए किया जाता था. बाद में टीपू सुल्तान और उनके पिता ने इसका जंग में हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने की तैयारी की. इसमें बारूद और तलवारें लगाई गईं, जो दुश्मन के लिए काफी घातक साबित हुई.
दो कमी तक कर सकते थे मार
अब अगर दुनिया के इन पहले रॉकेट्स की मारक क्षमता की बात करें तो ये करीब दो किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकते थे. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक पेल्लिलोर की लड़ाई में इन रॉकेटों ने जंग का रुख बदल दिया था. इस दौरान एक रॉकेट अंग्रेजों की एक बारूद से भरी गाड़ी से टकरा गया था, जिसके बाद अंग्रेज इस युद्ध को हार गए थे. 1780 में टीपू सुल्तान ने रॉकेट का इस्तेमाल किया था.
इसके बाद अलग-अलग तरीकों से रॉकेट का इस्तेमाल होता चला गया और 1930 में गोडार्ड ने पहली बार रॉकेट में ईंधन डालकर इसे हवा में छोड़ने का काम किया. इसके बाद रॉकेट नई ऊंचाइयों को छूता चला गया और आज इसके जरिए दुनियाभर के देश अंतरिक्ष में पहुंच रहे हैं.
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