टीपू सुल्तान को लेकर एक बार फिर विवाद शुरू हो चुका है. महाराष्ट्र में टीपू सुल्तान की जयंती मनाने को लेकर चेतावनी दी जा रही हैं, कई हिंदू संगठनों ने इसका विरोध किया है. संगठनों का कहना है कि टीपू सुल्तान हिंदू विरोधी थे, इसलिए वो लोग इसका विरोध कर रहे हैं. उनकी मांग है कि टीपू सुल्तान की जयंती मनाने पर महाराष्ट्र में प्रतिबंध लगाया जाए. ये पहली बार नहीं है जब टीपू सुल्तान को लेकर विवाद छिड़ा हो, इससे पहले भी इस मुद्दे पर कई बार बवाल हो चुका है. इसी बीच हम आज आपको उस घटना के बारे में बताने जा रहे हैं, जब टीपू सुल्तान के हाथ से राम नाम की अंगूठी निकाली गई थी.
मरते हुए भी उंगली में थी अंगूठी
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक टीपू सुल्तान के पास राम नाम लिखी हुई एक खास अंगूठी थी, ये अंगूठी सोने की थी. कहा जाता है कि टीपू सुल्तान की मौत के वक्त ये अंगूठी उनकी उंगली में थी, जिसे एक ब्रिटिश जनरल ने निकाल लिया था. बाद में इसकी नीलामी भी की गई. लंदन में इस अंगूठी को 45 हजार पाउंड में नीलाम किया गया. नीलाम करने वाली संस्था के मुताबिक इस अंगूठी का वजन करीब 41 ग्राम है. लोग इस थ्योरी पर भी सवाल उठाते हैं कि आखिर एक मुस्लिम राजा हिंदू भगवान के नाम की अंगूठी क्यों पहनता था...
कौन थे टीपू सुल्तान?
टीपू सुल्तान ने कई सालों तक मैसूर पर राज किया, जिसकी वजह से उन्हें टाइगर ऑफ मैसूर के नाम से भी लोग जानते हैं. उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ जंग छेड़ दी थी और उनकी नाक में दम कर दिया था. अंग्रेजों के साथ लड़ते-लड़ते ही उन्होंने दम तोड़ दिया था. उन्हें दुनिया के पहले मिसाइलमैन के तौर पर भी जाना जाता है, टीपू सुल्तान ने सबसे पहले रॉकेट का इस्तेमाल अंग्रेजों के खिलाफ किया था. उन्होंने दूर से मार करने वाले रॉकेट बनाए, जिसने अंग्रेज सेना को पीछे खदेड़ने का काम किया.
भारत में टीपू सुल्तान को लेकर अलग-अलग विचारधारा के लोगों के अलग मत हैं. कुछ लोग टीपू सुल्तान को एक महान राजा मानते हैं और उनकी जयंती मनाते हैं, वहीं कुछ लोगों का कहना है कि टीपू सुल्तान हिंदू विरोधी थे. यही बहस हर बार विवाद का मुद्दा बनती है और इस पर खूब राजनीति भी होती है.