(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
इंसानों के साथ टाइटैनिक में 12 कुत्ते भी थे, जानिए उनके साथ क्या हुआ था?
टाइटैनिक (Titanic) जहाज 19वीं सदी का वो जहाज था जिसके बारे में कहा जाता था कि यह समुद्र में कभी नहीं डूबेगा. बताया जाता है कि इस जहाज की ऊंचाई 17 मंजिला बिल्डिंग के बराबर थी.
10 अप्रैल 1912 इतिहास की वो तारीख है जिसने एक झटके में 1513 लोगों की जिंदगी छीन ली थी. दरअसल, इसी दिन 19वीं सदी का सबसे बड़ा जहाज ब्रिटेन के साउथैम्पटन बंदरगाह से न्यूयॉर्क के लिए रवाना हुआ था. हालांकि, वह अपनी मंजिल पर पहुंच पाता इससे पहले वह हादसे का शिकार हो गया और इसमें मौजूद हजारों लोग समुद्र में डूब कर मर गए. इस जहाज में इंसानों के साथ साथ उनके सबसे वफादार कुत्ते भी मौजूद थे. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक टाइटैनिक में कुल 12 कुत्ते सवार थे, जिनमें से 9 ने इस हादसे में अपनी जान गंवा दी थी, जबकि तीन किसी तरह से बच गए थे.
कौन से तीन कुत्ते बच गए थे
अमेरिकन केनल क्लब की वेबसाइट पर छपी एक खबर के अनुसार, इस हादसे में 12 में से 3 कुत्ते जो बचे थे, उनमें से दो पोमेरेनियन ब्रीड के थे और एक पेकिंगीस ब्रीड का था. पहले वाले पोमेरेनियन को Margaret Bechstein Hays ने पेरिस से खरीदा था. जबकि, दूसरा वाला पोमेरेनियन Martin and Elizabeth Jane Rothschild का था. वहीं तीसरा और अंतिम बचा जिंदा कुत्ता पेकिंगीस ब्रीड का था जिसके मालिक थे Myra and Henry S. Harper.
कैसा था टाइटैनिक जहाज
वॉशिंगटन पोस्ट में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, टाइटैनिक जहाज 19वीं सदी का वो जहाज था जिसके बारे में कहा जाता था कि यह समुद्र में कभी नहीं डूबेगा. बताया जाता है कि इस जहाज की ऊंचाई 17 मंजिला बिल्डिंग के बराबर थी, वहीं इस जहाज को चलाने के लिए हर दिन लगभग 800 टन कोयले का इस्तेमाल होता था. कहा जाता है कि टाइटैनिक में तीन फुटबॉल मैदानों के जितनी जगह थी और इस जहाज का हॉर्न इतना तेज था कि इसे आप 11 मील की दूरी से भी सुन सकते थे.
मलबा अब तक बाहर क्यों नहीं निकला
टाइटैनिक का मलबा समुद्र में तेजी से गल रहा है. एक्सपर्ट्स की मानें तो 20 से 30 सालों में टाइटैनिक का मलबा पूरी तरह गल जाएगा और समुद्र के पानी में घुल जाएगा. दरअसल, समुद्र में पाए जाने वाले बैक्टीरिया टाइटैनिक के लोहे को तेजी से खा रहे हैं. ये समुद्री बैक्टीरिया रोजाना लगभग 180 किलो मलबा खा जाते हैं. जहां तक रही इस टाइटैनिक के मलबे को निकालने की बात तो ये बहुत जोखिम भरा और खर्चीला काम है. वहीं जहाज का मलबा इतना सड़ चुका है कि इसे बाहर निकालने पर सिर्फ लोहे के जंग लगे चूरे मिलेंगे.
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