अगर पी रखी है शराब तो कार स्टार्ट ही नहीं होगी, ये है इस देश में एक्सीडेंट रोकने का फॉर्मूला
Drink and Drive: इग्निशन इंटरलॉक सिस्टम ऐसी तकनीक है, जिसमें अगर कोई व्यक्ति शराब पीकर गाड़ी चलाने की कोशिश भी करेगा तो गाड़ी स्टार्ट ही नहीं होती है. आइए इसे समझते हैं...
Ignition Interlock System In Cars: शराब पीकर गाड़ी चलाना देश में होने वाले सड़क हादसों की एक बड़ी वजह है. अक्सर लोग त्योहारों पर किसी खास मौके पर शराब पी लेते हैं और नशे में गाड़ी चलाते हैं फिर अक्सर दिल्ली के कंझावाला जैसी घटनाएं हो जाती हैं. इसके बावजूद भी लोग बाज नहीं आते और नशे में गाड़ी चलाते हैं. ऐसा करके वो अपने साथ-साथ सड़क पर चल रहे बाकी लोगों की भी जान जोखिम में डालते हैं. शायद इसका एक कारण यह भी है कि लोगों में इस बात डर कम है कि कहीं ऐसा करते हुए वो पकड़े न जाएं.
पुलिस बल सीमित मात्रा में है. ऐसे में हर किसी को रोक पाना संभव नहीं है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने इस समस्या से निपटने के लिए गाड़ियों में एक अनोखी तकनीक का इस्तेमाल किया है. जिसके बाद ड्रिंक एंड ड्राइव को रोकने के लिए किसी पुलिसवाले की जरूरत नहीं पड़ती है, बल्कि खुद गाड़ी ही इसे रोकने में मदद करती है. इसे इग्निशन इंटरलॉक सिस्टम कहते हैं. इसमें अगर कोई व्यक्ति शराब पीकर गाड़ी चलाने की कोशिश भी करेगा तो गाड़ी स्टार्ट ही नहीं होती है. आइए जानते हैं ये तकनीक कैसे काम करती है...
इग्निशन इंटरलॉक सिस्टम
ऑस्ट्रेलिया में इस्तेमाल होने वाली इग्निशन इंटरलॉक सिस्टम नाम की तकनीक ड्राइवर को नशे की हालत में गाड़ी चलाने से रोकती है. अगर ड्राइवर नशे में है तो कार स्टार्ट ही नहीं होगी. दरअसल, इस प्रणाली में गाड़ी को स्टार्ट करने के लिए आपको अपनी सांस का सैंपल देना पड़ता है. इंटरलॉक में एक कैमरा भी लगा होता है जो सांस का नमूना प्रदान करने वाले व्यक्ति की तस्वीर खींचता है.
रोकथाम के लिए अलग-अलग कानून
सरकार ने इसकी रोकथाम के लिए कड़े कानून भी बनाए हैं. सरकार ने मोटर वाहन अधिनियम में 2019 में संशोधन किया और शराब पीकर गाड़ी चलाने पर जुर्माना 2,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दिया था. अगर कोई ऐसा करते हुए दोबारा पकड़ा जाता है तो जुर्माना 15,000 रुपये तक बढ़ सकता है और दो साल तक की जेल भी हो सकती है. दुनिया में इस अपराध को लेकर अलग-अलग कानून बने हुए हैं. यूनाइटेड किंगडम में ऐसा करने पर जुर्माना असीमित है और मामले की सुनवाई करने वाला प्रशासन तय करता है. स्वीडन में इस अपराध के लिए दो साल तक की कैद और गंभीर मामलों में दो साल या उससे अधिक के लिए लाइसेंस भी रद्द कर दिया जाता है.
सड़क दुर्घनाओ के आंकड़े
भारत के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार, 2017 में नशे में ड्राइविंग के कारण 14,071 दुर्घटनाएं हुईं, जो 2021 में गिरकर 9,150 हो गईं. साथ ही, संबंधित मौतें 2017 में 4,776 से गिरकर 2021 में 3,314 हो गईं. कुल दुर्घटनाओं में शराब पीकर गाड़ी चलाने की हिस्सेदारी भी 2017 के तीन प्रतिशत से गिरकर 2021 में 2.2 प्रतिशत हो गई है. ऐसे में, इस तकनीक की अच्छे से पड़ताल कर भारत सरकार को इसे लागू करने पर विचार करना चाहिए. ड्रिंक एंड ड्राइव से होने वाले हादसों को रोकने के लिए यह एक अच्छा कदम हो सकता है.
यह भी पढ़ें -
दो या तीन नहीं बल्कि USB के हैं इतने सारे टाइप...यहां तस्वीरों के साथ बताया गया है सबका नाम और काम