Island of Japan: जापान के इस द्वीप पर सालों से कोई नहीं रहता, कभी कहते थे इसे ब्लैक डायमंड
दुनिया में ऐसी बहुत सी जगहें हैं, जो खाली पड़ी हुई हैं.आज हम आपको जापान के एक ऐसे द्वीप के बारे में बताने वाले हैं, जहां पर सालों पहले इमारतें मौजूद थी, लेकिन आज ये जगह भूतहा आईलैंड कहलाता है.

दुनियाभर में ऐसी बहुत सी जगहें हैं, जहां पर इंसान नहीं रहते हैं. ये जगह सालों से खाली पड़े हुए हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे ही द्वीप के बारे में बताने वाले हैं, जहां सालों पहले इंसान शहर बसाकर रहते थे. लेकिन आज बीते 50 सालों अधिक समय से यहां पर कोई नहीं है. हालांकि ये जगह कोई आम जगह नहीं है, क्योंकि पहले यहां पर खदान मौजूद थी. जानिए कहां पर है ये जगह और अब क्यों खाली पड़ा है.
कहां पर है ये द्वीप?
जापान में नागासाकी तट से नौ मील दूर हाशिमा द्वीप स्थित है. बता दें कि ये जगह 50 वर्षों से अधिक समय से पूरी तरह से खाली पड़ा हुआ है. जानकारी के मुताबिक वर्तमान में इस जगह की जनसंख्या शून्य है. लेकिन सालों पहले यहां का माहौल कुछ और था. दरअसल इस द्वीप का उपनाम गुंकनजिमा है, जिसका अर्थ युद्धपोत द्वीप होता है.
इतिहास बताते है कि अपनी उपस्थिति के कारण यह द्वीप मूल रूप से 1800 के दशक में कोयला खनन के रूप में समृद्ध हुआ था. जानकारी के मुताबिक मित्सुबिशी ने 1890 में द्वीप और इसकी खदानें खरीदी थी और श्रमिकों और उनके परिवारों को वहां रहने के लिए दिया था. बता दें कि करीब 16 एकड़ में फैले इस आइलैंड पर साल 1959 में पांच हजार से भी ज्यादा लोग रहते थे. यहां पर 1887 से लेकर 1974 तक कोयले के खनन का काम हुआ था.
द्वीप पर रिहायशी सुविधाएं
बता दें कि इसी दौरान यहां पर इस इलाके में रिहायशी सुविधाओं को निर्माण भी हुआ था. जिसके बाद देखते ही देखते ये द्वीप एक शहर का रूप ले लिया था. वहीं द्वीप पर रहने वालों का वेतन मुख्य भूमि पर काम करने वालों की तुलना में काफी अधिक था. इसके अलावा कई लोगों के पास नवीनतम तकनीक से सुसज्जित घर भी थे. लेकिन समस्या ये थी कि यहां पर रहने वाले लोगों के लिए स्थितियां कठिन थी. इतना ही नहीं खदानों से निकलने वाले धुएं के साथ मिश्रित भारी समुद्री हवा का एक गंभीर सांस की बीमारी एक समस्या थी. लेकिन फिर धीरे-धीरे कोयले के भंडार खत्म हो गए थे. जिसके बाद वहां खनन का काम बंद हो चुका था. कुछ समय के बाद मालिक, कर्मचारी समेत श्रमिक धीरे-धीरे दूर चले गये थे और द्वीप खाली हो गया था.
द्वितीय विश्व युद्ध
बता दें कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान चीनी युद्धबंदियों को शोषित कोरियाई आप्रवासियों के साथ हाशिमा लाया गया था. यहां पर उन्हें खदानों के भीतर कठोर और अमानवीय परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर किया गया था. इस दौरान उनके पास द्वीप से भागने का कोई विकल्प नहीं था. इतना ही नहीं काम करने के दौरान वहां पर हजारों लोग भूख से मर गए थे. इस जगह को लोग भूतिया आइलैंड भी कहते हैं.
अब जाते हैं टूरिस्ट
बता दें कि कई सालों तक सरकार ने इस आइलैंड को बंद कर दिया था. जहां लोगों का जाना मना था. लेकिन 22 अप्रैल, 2009 को इसे दोबारा पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है. इस आइलैंड पर कई फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है.
1874 से परित्यक्त पड़े हाशिमा ने अपने समृद्ध और भयावह अतीत से उत्सुक लोगों के लिए एक पर्यटक आकर्षण के रूप में एक नया जीवन प्राप्त किया है. 2009 से, आगंतुक पर्यटन समूहों में द्वीप पर जाने में सक्षम हो गए हैं. 2015 के बाद इसे यूनेस्को की सूची में सूचीबद्ध किया गया था.
ये भी पढ़ें: Vegan Diet: क्या होती है वीगन डाइट, ये शरीर के लिए फायदेमंद या नुकसानदायक
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस

