Toilets in space: स्पेस सेंटर में हर समय किसी न किसी चीज पर खोज चलती ही रहती है. ऐसे में, अंतरिक्ष से पृथ्वी पर एस्ट्रोनॉट का आना-जाना लगा रहता है. कई बार किसी खास मिशन के लिए उन्हें अंतरिक्ष में ही कई दिनों तक रुकना पड़ता है. ऐसे में वहीं उनके खाने-पीने जैसी सभी बेसिक जरूरतों का इंतजाम किया जाता है. आपने फिल्मों में भी देखा होगा कि जीरो ग्रैविटी की वजह से अंतरिक्ष में चीजें हवा में तैरती हुई दिखाई देती हैं. ऐसे में एक सवाल आपके मन में भी आ सकता है कि अंतरिक्ष में वो लोग शौचालय का इस्तेमाल कैसे करते होंगे?


कुछ सालों पहले की बात है, जब सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में गई और उन्होंने इंटरनेशनल स्पेस सेंटर (ISS) के बारे में बताया. सुनीता विलियम्स ने वहां के कई विडियोज भी बनाए थे, जिनमें बताया गया था कि स्पेस में एस्ट्रोनॉट्स कैसे रहते हैं, वो सोते कैसे हैं और कैसे काम करते हैं. इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि स्पेस में जब किसी को टॉयलेट जाना होता है, तो वह क्या करता है.


बना होता है खास टॉयलेट


एस्ट्रोनॉट्स के लिए बना टॉयलेट हमारे आम टॉयलेट से बिल्कुल अलग होता है. अंतरिक्ष में एस्ट्रोनॉट्स की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए उनके लिए पूरी तरह से हैंडहोल्ड और फुटहोल्ड शौचालय बना होता है. वो बैठ कर और खड़े होकर भी ये काम कर सकते हैं. एस्ट्रोनॉट्स जब टॉयलेट का ढक्कन उठाकर उसपर बैठते हैं, तो यह खास वैक्यूम वाला टॉयलेट हवा के जरिए गंदगी को खींच कर एक टैंक में ले जाता है. 


यूरिन को लिया जाता है पीने के काम में


यूरिन के लिए भी यहां एक खास तरह का वैक्यूम पाइप लगा होता है. अंतरिक्ष में यूरिन और शौच को अलग-अलग टैंकों में रखा जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन अंतरिक्ष में यूरिन को रिसाइकिल करके पीने के काम में भी लिया जाता है.


पहले अलग थी व्यवस्था


पहले अंतरिक्ष यात्रियों के शौच के लिए एक खास तरह के एक पाउच का इस्तेमाल करना पड़ता था, शौच करते समय इस पाउच को उन्हे अपने पीछे बांधना पड़ता था. बाद में एक खास टॉयलेट भी बनाया गया, लेकिन, यह भी सफाई और यूरिन डिस्पोस्ज आदि के लिहाज से सही नहीं था. जब महिलाएं भी अंतरिक्ष में जाने लगी तो इस खास तरह के टॉयलेट की व्यवस्था की गई. अब अंतरिक्ष में जीरो ग्रैविटी के आधार पर बनाए गए इन्ही टॉयलेट्स का इस्तेमाल किया जाता है.


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