Black Stripes On Tiger: बाघ (Tiger) को तो हम सभी ने तस्वीरों या विडियोज में देखा ही है. बाघ के शरीर पर बनी काली धारियां उन्हें आकर्षक बनाती हैं. इनके शरीर पर अभी धारियों के बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि जिस तरह से इंसान के फिंगरप्रिट उन्हें अलग और विशेष बनाते हैं, उसी तरह हर बाघ के शरीर पर बनी ये काली धारीदार पट्टियां भी अलग-अलग होती हैं. प्राकृतिक विज्ञान (Science) के अनुसार, धारियां उन्हें अपना भोजन हासिल करने में मददगार होती हैं. आज इस खबर में बाघ की इन धारियों से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों को जानेंगे. 


जीवों में है विविधता 


जीवों के आकार, रंग और रूप में बहुत ही ज्यादा विविधता का पायी जाती है. इन जीवों का खास आकर और उनका रंग संयोजन  उनके अस्तित्व की रक्षा करने में उनकी सहायता करता है. ऐसे ही एक जीव बाघ में बारे कभी आपने विचार किया है? इसके शरीर पर काली पट्टियां (Black Strips on Tiger) होती हैं. इन पट्टियों की क्या अहमियत है? आइए जानते हैं कि इस बारे में विस्तार से 


छिप कर हमला करने में मददगार 


बाघ अपने शिकार पर हमला कम प्रकाश में करते हैं. बाघ सुबह-सुबह या फिर शाम को सूरज ढलने के बाद शिकार करते हैं. ऐसे में कम रोशनी में वे लगभग शिकार को दिखाई नहीं देते हैं, जिसका बाघ को पूरा फायदा मिलता है. बाघ चाहे सूखी घास के मैदान में हों या जंगल में हों, उसके गहरे नारंगी रंग पर काली पट्टी का ये छलावरण छिपकर शिकार करने में उसकी मदद करता है. 


छलावरण करता है शिकार में मदद 


बाघ जंगल में शेर की तरह समूह में शिकार नहीं करते हैं और न ही उनके पास चीते की तरह फुर्ती या रफ्तार होती है. यह ऐसा शिकारी जीव हैं जो छिप कर छलावरण के सहारे से शिकार करता है. यह धारियां इनकी छह उप प्रजातियों में अलग-अलग होती हैं. सुमात्रा के बाघों के शरीर पर बनी धारियां पतली और ज्याद संख्या में होती हैं. जिससे उन्हें घने जंगलों में छिपने में सहायता मिलती है. 


दूसरे जानवरों को नुकसान 


हिरण सहित कई अन्य जानवर भी सभी तरह के रंगों को नहीं देख पाते हैं. उनकी आंख के लिए बाघ का फर चमकीले नारंगी रंग का नहीं होता है, बल्कि हरे रंग का होता है जो पीछे के दृश्य से मेल खाता है. ऐसे में वे बाघ को आसानी से पहचान नहीं पाते हैं.


धारियों की त्वचा भी काली 


आपको जानकर हैरानी होगी कि बाघ के शरीर पर बनी इन धारियों वाले हिस्सों में केवल उनके बाल ही काले नहीं होते हैं, बल्कि इस हिस्से की उनकी त्वचा का रंग भी काला होता है. इन धारियों का पैटर्न हर एक बाघ में अलग होता है. इससे वन विभाग के लोगों को इनकी पहचान करने में आसानी होती है. इससे इनकी जनगणना करने में भी मदद मिलती है. 


यह भी पढ़ें -


कम हो रहे हैं घास के मैदान, जानवरों के लिए होगी मुसीबत, कार्बन ज्यादा होगा तो इंसानों को लगेंगी नई बीमारियां