जब भी आपके दिन की शुरुआत होती है तो सबसे पहले करने वाले कामों में एक ब्रश करने का काम भी शामिल होता होगा.  ब्रश करने के बिना दिन की शुरुआत नहीं होता है और मुंह की सफाई के लिए यह काफी जरुरी भी है. लेकिन, कभी आपने इस बारे में सोचा है कि आखिर जब टूथपेस्ट या टूथब्रश का आविष्कार नहीं हुआ था, तब लोग किस तरह से अपने दांत साफ करते होंगे. आज से करीब सैंकड़ों साल पहले भी लोग रहते थे और अपनी सफाई का ख्याल रखते थे, लेकिन फिर भी टूथपेस्ट के जगह किस का इस्तेमाल करते थे. 


काफी साल पहले से हो रही दांतों की सफाई


वैसे तो आपको ये जानकारी होगी कि आज से 2500 साल पुरानी लाइफस्टाइल में दांत की सफाई और इससे जुड़े कुछ उपकरणों का जिक्र मिलता है. इसके साथ ही ये भी कहना गलत है कि टूथपेस्ट का कुछ सालों पहले ही आविष्कार हुआ है. दरअसल, प्रसिद्ध ग्रीक चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स उन पहले लोगों में से एक थे, जिन्होंने दांतों को मूल रूप से सूखे टूथपेस्ट से दांतों की सफाई करने की सलाह दी थी, जिसे डेंटिफ्रीस पाउडर कहा जाता है.


पुरानी संस्कृतियों में अलग अलग तकनीकों का जिक्र मिलता है, जिनमें छाल चबाना, छड़े चबाना, मछली की हड्डियां आदि काम में लेना शामिल हैं. इसके अलावा पहले दांत की सफाई के लिए अलग अलग उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता था. यूरोपीय लोगों ने अपने दांतों को नमक या कालिख में लपेटे हुए चीथड़ों से साफ किया था. इसके साथ ही अन्य देशों में भी ये ही प्रेक्टिस काम में आने लगी.


1700 में बन गई थी ब्रश


कई रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र है कि टूथब्रश का इस्तेमाल 1700  दौरान से ही शुरू हो गया था, जब अंग्रेज विलियम एडिस ने यह काम किया था.  जेल में रहने के दौरान उन्हें हड्डी और जानवरों के बाल से टूथब्रश बनाने का विचार आया था. इसके बाद जब टूथपेस्ट की शुरुआत हुई तो पाउडर आदि की शुरुआत हुई और प्राकृतिर आइटमों को मिलकर कुछ पाउडर बनाए जाने लगे. इसके बाज 1800 में तो यह थोड़ा कॉमन होने लगा और लोगों ने ब्रश का इस्तेमाल कर दिया. 


भारत में हो सकता है कि ये सभी बाद में आए, लेकिन 1900 के बाद ये काफी कॉमन हो गया था और लोगों ने ब्रश से दांत साफ करना शुरू कर दिया था. इसके अलावा भारत में जब ब्रश कॉमन हो रहे थे, उससे पहले लोग नीम के दातुन, राख, नमक, तेल आदि का इस्तेमाल दांत साफ करने के लिए कर रहे थे. 


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