दुनिया के सबसे प्रभीवशाली मुस्लिमों की लिस्ट द रॉयल आल बल-बायत इंस्टिट्यूट फॉर इस्लामिक थॉट ने जारी की थी जो कि एक इस्लामिक एनजीओ है. इसमें 2023 के लिए एनजीओ ने दुनिया के 500 सबसे प्रभावशाली मुस्लिमों की लिस्ट जारी की थी. जिसमें पहले नंबर पर सऊदी के किंग सलमान बिन अब्दुल अजीज बिन साऊद हैं.


दूसरे नंबर पर ईरान के सर्वोच्च नेता अयातोल्लाह अली खोमेनेई और तीसरे नंबर पर कतर के शासक शेख तमीम बिन हमाद अल थानी हैं. लेकिन इस लिस्ट की खास बात ये रही कि इस लिस्ट में भारत से भी एक प्रभावी मुस्लिम हस्ती का नाम देखा गया. यह कोई और नहीं बल्कि जमियत-ए-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी थे.


ऐसे मिली पहचान
लंबे समय से सामाजिक कार्यों से जुड़े मौलाना महमूद मदनी को गुजरात में 2001 में आए भूकंप के बाद उनके राहत कार्यों के लिए काफी पहचान मिली. यहां उन्होंने राहत और पुनर्वास का काम किया, जिससे उन्हें राष्ट्रीय पहचान मिली गई थी. 2002 में जातीय-धार्मिक हिंसा के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने मौलाना महमूद मदनी के नेतृत्व में राहत कार्य के लिए अभियान चलाया. इस राहत कार्य ने उनके कद को और बढ़ा कर दिया था. वे 2001 से 2008 तक जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव चुने गए.


समाजवादी पार्टी से की राजनैतिक सफर की शुरूआत
मौलाना महमूद मदनी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत समाजवादी पार्टी से की थी. 2006 से 2012 तक उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्य रहे मदनी के सामाजिक और राजनीतिक कार्यों को देखते हुए जमीयत उलमाए हिंद की सहारनपुर जिला शाखा ने उन्हें अध्यक्ष बनाया. कुछ समय बाद, मौलाना महमूद मदनी राज्य के उपाध्यक्ष और फिर जमीयत उलमा-हिंद के उपाध्यक्ष बने. 


आतंकियों के खिलाफ लगातार चालाया अभियान
मौलाना मदनी ने देश में आतंकवाद विरोधी अभियान भी चलाया. उन्होंने देवबंद के उलेमाओं की ओर से आतंकवाद के खिलाफ फतवा जारी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. दिल्ली के रामलीला मैदान, हैदराबाद और मुंबई में रैलियां कर मुसलमानों और उलेमाओं को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट करने का काम किया. मदनी देश भर में 40 से अधिक स्थानों पर आतंकवाद विरोधी कार्यक्रम आयोजित करते हैं. 


बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते हैं
महमूद मदनी अपने बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते हैं. मौलाना मदनी ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) जैसे मुद्दों के खिलाफ भी आवाज उठाई है. सीएए के खिलाफ देशव्यापी विरोध शुरू करने को लेकर भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. उस दौरान देशभर में 1000 से ज्यादा जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए. एक टीवी कार्यक्रम में उन्होंने कहा था 'हम बैचेन नहीं, बाय चॉइस इंडियन हैं. हमने भारत को चुना'. 


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