Train Accidents in india: पिछले 5 सालों में देश में हुए इतने रेल हादसे, चौंका देंगे आंकड़े
झारखंड में एक बड़ा रेल हादसा हो गया, इसके साथ ही भारतीय जनता का रेल की जर्नी पर भरोसा भी फिर एक बार धरा के धरा रह गया. ऐसे में चलिए पिछले पांच साल में हुए रेल एक्सीडेट्स पर नजर डालते हैं.
Train Accidents in india: भारतीय जनता की जान ट्रेन के सफर में कितनी सुरक्षित और आसान है ये विश्वास झारखंड में हुए रेल दुर्घटना में एक बार फिर डगमगा गया है. किसी ट्रेन में सफर करते हुए वो हादसे का शिकार न हो जाए अब जनता को ये डर सताने लगा है. झारखंड रेल हादसे में 2 लोगों की मौत हो गई तो वहीं 20 से ज्यादा लोग जखमी हुए हैं. पिछले कुछ दिनों में रेल दुर्घटनाओं की खबरें बढ़ी हैं. हर दो महीने में लगभग 2 पैसेंजर ट्रेन और एक मालगाड़ी के पटरी से उतरने की खबरें सामने आ रही हैं. पिछले 6 हफ्तों में रेल हादसों में 17 लोग अपनी जान गवां चुके हैं. ऐसे में चलिए पिछले पांच सालों में हुए रेलवे हादसों के सरकारी आंकड़ों पर एक नजर डालते हैं.
पिछले पांच सालों में हुए कितने रेल हादसे?
केंद्रिय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा संसद में एक सवाल के दिए गए जवाब के मुताबिक, रेल हादसों में पिछले कुछ सालों में गिरावट आई है. साल 2000-01 के बीच ट्रेन दुर्घटनाएं 473 से घटकर 40 हो गईं. वहीं साल 2004 से 2014 के बीच 1711 रेल दुर्घटनाएं हुईं. इस दौरान हर वर्ष औसतन 171 रेल हादसे हुए. वहीं साल 2014-24 के दौरान 678 रेल हादसे हुए. यानी हर साल औसतन 68 रेल हादसे. रेल मंत्री के मुताबिक पिछले कुछ सालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रति मिलियन ट्रेन किलोमीटर पर दुर्घटनाओं में कमी आई है. वहीं पिछले पांच सालों के आकड़ों पर नजर डालें तो केंद्रिय मंत्री के मुताबिक, पिछले 5 सालों में 9 रेल हादसे हुए.
रेलवे ने सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए?
रेलवे ने पिछले कुछ सालों में सुरक्षा के लिए खास कदम उठाए हैं. भारत में रेलवे द्वारा कुल 6,191 किमी ट्रैक फेंसिंग लगाई गई है. इसके अलावा पटरियों की बाड़ भी लगाई गई है. इसके अलावा भी रेलवे द्वारा सुरक्षा के लिहाज से कुछ कार्य किए गए हैं. हालांकि पिछले कुछ समय से लगातार ट्रेनें हादसों का शिकार हो रही हैं.
बता दें भारतीय रेलवे को अबकी बार रेल कवच के लिए करीब 1100 करोड़ रुपए आवंटित हुए हैं. दावा किया जा रहा है कि सभी रूट पर रेल कवच के लिए जरूरत 45 हजार करोड़ से ज्यादा की है. वहीं विपक्ष का कहना है कि हर रूट पर ट्रेन को टक्कर से बचाने के लिए लगने वाले कवच को कई दशक लग जाएंगे.
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