ओडिशा में हुए दर्दनाक ट्रेन हादसे के बाद अब ट्रेन के सिस्टम को लेकर काफी चर्चा हो रही है. लोगों के मन में कई सवाल हैं कि आखिर ट्रेन क्यों नहीं रोकी गई, ट्रेन का पता क्यों नहीं चला, ट्रेन का सिस्टम इतना कमजोर क्यों है. इसके साथ ही ट्रेन के रोकने पर भी सवाल हो रहे हैं कि आखिर ट्रेन का ब्रेक सिस्टम कैसे काम करता है और ट्रेन रुकती कैसे है. अगर आपको भी ये जानने में दिलचस्पी है कि ट्रेन कैसे रुकती है तो हम आपको बताते हैं कि ट्रेन में किस तरह से ब्रेक लगाए जाते हैं और क्या ट्रेन में भी कार की तरह की गाड़ी को रोका जाता है...


क्या है ब्रेक लगाने का तरीका?


वैसे तो ट्रेन में भी कार की तरही है ब्रेक शू के जरिए ब्रेक लगाए जाते हैं और ब्रेक शू को प्रेशर के जरिए कंट्रोल किया जाता है. ट्रेन में ब्रेश शू को प्रेशर से कंट्रोल किया जाता है और फिर ब्रेक शू जाकर टायर के चिपक जाते हैं और ट्रेन आगे बढ़ना बंद कर देती है. हालांकि, ट्रेन में ब्रेक को लगाने का तरीका काफी अलग है और ये कार से काफी अलग होता है. पहले आपको बताते हैं कि कार में कैसे ब्रेक लगते हैं. कार में जब ब्रेक अप्लाई किया जाता है तो ब्रेक टायर के जाकर चिपक जाते हैं और आमतौर पर वे टायर से दूर रहते हैं. 


वहीं, ट्रेन का मामला थोड़ा अलग है. इसमें ब्रेश शू हमेशा टायर के चिपके रहते हैं और जब ट्रेन को आगे बढ़ाना होता है प्रेशर से इसके ब्रेक को पीछे कर दिया जाता है. ऐसे में जब ट्रेन चलती रहती है तो प्रेशर लगातार बरकरार रखना होता है, जिससे ब्रेक शू पीछे रहते हैं और ट्रेन चलती रहती है. ऐसे में ट्रेन को रोकने के लिए प्रेशर रिलीज करना होता है और प्रेशर हटते हुए टायर के ब्रेक शू चिपक जाते हैं और ट्रेन रुक जाते हैं.


ये उस स्थिति के लिए अच्छा ऑप्शन है, जब ड्राइवर को नींद हो जाती है. ऐसे में ड्राइवर को बार-बार प्रेशर देते रहना होता है और अगर ड्राइवर नींद आने पर प्रेशर नहीं देता है तो बिना प्रेशर के ब्रेक खुद ही लग जाते हैं. साथ ही इसकी जानकारी कंट्रोल रुम तक भी पहुंच जाती है. 


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