रेलवे में अब काफी काम ऑटोमेटिक होने लगा है, जिसमें ट्रेन को चलाने का काम भी है. पहले लाइनमैन ट्रेन के रूट के हिसाब से पटरियों को एडजस्ट करते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब ये काम ऑटोमेटिक पूरा हो जाता है. रेलवे ट्रैक ऑटो एडजस्ट होने की वजह से ना लाइनमैन का काम बचता है और ना ही लोको पायलट का काम ट्रेन को मोड़ने का होता है. ऐसे में कभी आपने सोचा है कि जब ट्रेन को चलाने का पूरा काम लोको पायलट का नहीं होता है तो फिर लोको पायलट करता क्या है. तो आज हम आपको बताते हैं कि ट्रेन के इंजन में बैठे-बैठे लोको पायलट को क्या क्या करना होता है और ट्रेन को चलाने में उनकी कितनी भूमिका होती है.


तो आज आपको क्लियर कर देते हैं कि ट्रेन लोको पायलट का काम क्या है और ड्यूटी शुरू होने से लेकर ड्यूटी पूरी होने तक उनका क्या काम होता है. फिर आप लोको पायलट के काम के प्रोसेस को समझ जाएंगे...


लोको पायलट का क्या काम होता है?


लोको पायलट की जब ड्यूटी शुरू होती है तो सबसे पहले वो इंजन आदि की अच्छे से जांच करता है. वो ये सुनिश्चित करता है कि ट्रेन के इंजन में कोई दिक्कत नहीं है और डीजल या फिर आवश्यक सामान पर्याप्त मात्रा में है. इसके बाद ट्रेन के रूट आदि और मैनुअल की जानकारी लेता है और ट्रेन स्टेशन मास्टर से परमिशन लेकर अपनी ट्रेन को आगे बढ़ाता है. ट्रेन में कोई स्टीयरिंग नहीं होती है, ऐसे में ट्रैक चेंज का काम ऑटोमैटिक होता है. 


लेकिन, लोको पायलट कंट्रोल रुम से मिल रहे डायरेक्शन, सिग्नल्स आदि के आधार पर स्पीड कंट्रोल करने का काम करता है. ऐसे में लोको पायलट की ही जिम्मेदारी होती है कि वो तय टाइम टेबल के हिसाब से ही ट्रेन का रूट पूरा करे. इसके अलावा स्पीड को लेकर कई नियम होते हैं, जिनका भी लोको पायलट को पालन करना होता है. साथ ही ग्राउंड पर ट्रैक पर आने वाली अड़चनों का भी ध्यान रखना होता है और उसके हिसाब से ट्रेन को ऑपरेट करना होता है. इसका मतलब ऐसा नहीं है कि लोको पायलट चाहे जब ट्रेन को रोक दे और चाहे जब चलाना शुरू कर दे. लोको पायलट यह फैसला खुद नहीं ले सकता है कि ट्रेन को किस स्टेशन पर रोकना है.


लेकिन लोको पायलट के पास ट्रेन को रोकने या चलाने को लेकर काफी अधिकार होता है.  लोको पायलट को पटरी के बराबर में लगे साइन बोर्ड पर बनें संकेतों के अनुसार स्पीड को बदलना होता है. साथ ही अलग अलग डायरेक्शन को फॉलो करना होता है. कोहरे, धुंध के वक्त लोको पायलट का काम और जिम्मेदारी दोनों बढ़ जाती है. 


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