एक समय था जब भारत में इतना सोना था कि पूरी दुनिया इसे सोने की चीड़िया कहती थी. लेकिन फिर मुगलों और अंग्रेजों ने इसे इतना लूटा की ये देश खाली हो गया. हालांकि, इसके बाद भी कुछ राजाओं के पास इतना सोना पड़ा था कि आज के समय में उसकी कीमत अरबों खरबों की हो. आजादी के बाद जब देश में एक लोकतांत्रिक सरकार बनी और राजशाही खत्म हुई तो सरकार की नजर इन राजाओं के खजाने की ओर गई. सरकार से बचाने के लिए कुछ राजाओं ने अपने खजाने को दफ्न कर दिया. आज हम एक ऐसे ही किले की कहानी बताने वाले हैं.
कौन सा है वो किला?
हम जिस किले की बात कर रहे हैं वो राजस्थान का जयगढ़ किला है. इस किले को राजा मानसिंह ने 1600 ईस्वी में बनवाया था. हालांकि, मान सिंह के बाद सवाई जय सिंह ने इस किले का पूरा निर्माण कराया. इसी वजह से इसे जयगढ़ कहा जाने लगा. कहा जाता है कि ये किला सिर्फ एक किला नहीं बल्कि मान सिंह के परिवार के लिए एक तिजोरी की तरह था. यहां इस राज परिवार के लोग अपना खजाना रखते थे. पीढ़ी दर पीढ़ी इस किले में इतना खजाना इकट्ठा हो गया था कि आज के समय में उसकी कीमत लगाना भी मुमकिन नहीं है.
भारत सरकार क्यों ढूंढ रही थी?
बात उस वक्त कि है जब देश में आपातकाल लगा हुआ था. केंद्र सरकार और आयकर विभाग को खबर लगी कि इस किले में खजाने की भरमार है. इसके बाद आयकर विभाग ने पहले राजघरानों पर छापे मारने शुरू किए, फिर बारी आई जयगढ़ की. जयगढ़ में बड़े खजाने की बात थी, इसलिए यहां से खजाना निकालने की जिम्मेदारी सेना को दी गई. सरकार के आदेश पर पूरा किला खोद दिया गया. सेना के जवानों ने दिन रात मेहनत की लेकिन उन्हें खजाना नहीं मिला. हालांकि, कुछ लोग कहते हैं कि सरकार को खजाना मिला था और उसे ट्रकों के जरिए दिल्ली पहुंचा दिया गया था. जबकि, कुछ लोगों को मानना है कि खजाना आज भी इसी किले में कहीं दबा है.
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