हमने बचपन से पढ़ा है कि पेड़ ऑक्सीजन के सबसे बड़े सोर्स हैं. धरती पर मौजूद सभी प्राणियों के जीवन के लिए ऑक्सीजन सबसे जरूरी होता है, इसीलिए सरकार से लेकर आम इंसान तक समाज से पेड़ लगाने और पेड़ नहीं काटने की अपील करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि पेड़ों से भी प्रदूषण फैलता है. जी हां, आज हम आपको बताएंगे कि आखिर पेड़ों के जरिए प्रदूषण कैसे फैलता है? 


पेड़


धरती पर हरियाली का होना इंसानों और जानवरों का जीवन होना है, क्योंकि ऑक्सीजन का मुख्य स्त्रोत पेड़ है. अगर धरती पर अगर पेड़-पौधे नहीं रहेंगे तो जीवन भी नहीं रहेगा. इतना ही नहीं, वातावरण को स्वच्छ रखने का काम भी पेड़ों द्वारा ही संभव है. हालांकि, एक रिपोर्ट ने हर किसी को आश्चर्यचकित किया है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पेड़ों से भी प्रदूषण फैलता है. 


प्रदूषण का कारण


बता दें कि जर्नल साइंस में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक पेड़ों में पाए जाने वाले टेरपेनोइड्स असल में कई प्रकार के रसायन पर केंद्रित है, जो अन्य प्रदूषकों के साथ मिलकर उन्हें हानिकारक बना सकते हैं. दरअसल, पेड़ों के टेरपेनोइड्स वाष्पशील कार्बनिक यौगिक,ओजोन और सूक्षमकण प्रदूषकों का निर्माण करके वायु प्रदूषण पर प्रतिक्रिया करते हैं. वहीं, बढ़ते तापमान और सूखे के कारण पेड़ अधिक वीओसी उत्सर्जित करते हैं और इन दोनों कारकों ने लॉस एंजिल्स को प्रभावित किया है.


रिसर्च में क्या आया सामने?


रिसर्च के दौरान साल 2021 में जर्मनी, कैलटेक, कोलोराडो और अमेरिका की राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन के शोधकर्ताओं ने वीओसी की सांद्रता को मापने के लिए मास स्पेक्ट्रोमीटर के साथ कई दिनों तक पूरे लॉस एंजिल्स पर एक विमान उड़वाया था. इससे शोधकर्ताओं को पता चला कि टेरपेनोइड्स वीओसी ही प्रदूषण का सबसे बड़ा स्त्रोत था. वहीं, यह प्रभाव शहर के वानस्पतिक हिस्सों और सबसे गर्म दिनों में सबसे अधिक दिखा था.


हालांकि रिसर्च में शोधकर्ताओं को अभी यह पता नहीं लगा है कि कौन-से पेड़ टेरपेनोइड्स के सबसे अधिक उत्सर्जन का कारण बन रहे हैं. शोधकर्ताओं ने यह जरूर पाया है कि अधिक तापमान के बीच मानव से जुड़े वीओसी भी प्रदूषण बढ़ा रहे हैं, जिनमें गैसोलीन जैसे रसायनों से लेकर डिओडोरेंट जैसे उत्पाद तक शामिल हैं.


इंसानों ने भी फैलाया प्रदूषण


रिचर्सर ईवा फैनरस्टिल ने न्यू साइंटिस्ट से बातचीत में बताया है कि सौंदर्य उत्पादों का प्रदूषण पर कम लेकिन मापने योग्य प्रभाव होता है. शोधकर्ताओं का कहना कि पेड़ों के वीओसी को रोकना मुश्किल है, इसलिए मनुष्यों द्वारा उत्सर्जित वीओसी को रोकना जरूरी हो जाता है.


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