Tripura Students HIV cases: त्रिपुरा में स्कूल जाने वाले स्टूडेंट्स में AIDS के गंभीर मामले देखने को मिले हैं. प्रदेश में 828 स्टूडेंट्स एचआईवी संक्रमित पाए गए हैं, जिनमें से 47 छात्रों की इस संक्रमण के चलते मौत हो चुकी है. ये रिपोर्ट सामने आते ही सनसनी फेल गई, जिसके बाद स्पष्टीकरण देते हुए प्रदेश सरकार ने कहा कि ये आंकड़े 25 साल पुराने हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर 47 बच्चों की मौत कैसे हुई और इंसान एचआईवी पॉजिटिव होने के बाद आखिर कितने दिनों तक जिंदा रह सकता है?
कितने दिनों तक जिंदा रह सकता है एचआईवी पॉजिटिव इंसान?
बता दें जब कोई व्यक्ति एचआईवी संक्रमित हो जाता है तो उसमें विषाणु भार बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, ऐसे में वो व्यक्ति बहुत आसानी से दूसरों को एचआईवी संक्रमित कर सकता है. वहीं यदि एचआईवी पीड़ित व्यक्ति को इलाज न मिले तो वो ज्यादा से ज्यादा 3 साल तक जिंदा रह सकता है. हालांकि यदि व्यक्ति को इलाज मिल जाए तो वो सेहतमंद जिंदगी जी सकता है, लेकिन इसकी दवा आजिवन लेनी होती है.
कैसे फैलता है एचआईवी?
एचआईवी फैलने का मुख्य कारण एचआईवी संक्रमित पुरुष या महिला के संपर्क में आना है. वहीं यदि किसी व्यक्ति को एचआईवी संक्रमित व्यक्ति का खून चढ़ा दिया जाता है या उसे लगाया गया इंजेक्शन भी लगा दिया जाता है तो दूसरे व्यक्ति भी एचआईवी संक्रमित हो सकता है. वहीं एक इंजेक्शन को कई व्यक्ति इस्तेमाल करते हैं तब भी इसका खतरा होता है. हालांकि ये छुआछुत की बीमारी नहीं है. किसी एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को छूने मात्र से ये वायरस नहीं फैलता.
स्टूडेंट्स में कैसे फैला इंफेक्शन?
त्रिपुरा एड्स नियंत्रण सोसाइटी (टीएसएसीएस) के अधिकारियों ने बताया है कि एचआईवी के मामलों में बढ़ोत्तरी का कारण छात्रों में नशीली दवाओं का दुरुपयोग हो सकता है. टीएसएसीएस ने लगभग 220 स्कूलों और 24 कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में ऐसे छात्रों की पहचान की है जो इंजेक्शन के जरिए नशीली दवाएं लेते हैं.
टीएसएसीएस के संयुक्त निदेशक द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, "अब तक 220 स्कूलों और 24 कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की पहचान की गई है, जहां छात्रों को नशीली दवाओं के दुरुपयोग की लत पाई गई है. हमने राज्य भर में कुल 164 स्वास्थ्य सुविधाओं से डेटा इक्ठ्ठा किया है. उन्होंने आगे कहा, "ज़्यादातर मामलों में बच्चे अमीर परिवारों से होते हैं, जो एचआईवी से संक्रमित पाए जाते हैं.
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