दुनियाभर में कई ऐसी जगह है, जहां पर इंसान घूमने जाना चाहता है. इनमें से एक ट्रिस्टन दा कुन्हा द्वीप भी है. जानकारी के मुताबिक ये द्वीप दुनिया का सबसे दूर बसा हुआ द्वीप है. आज हम आपको बताएंगे कि ट्रिस्टन दा कुन्हा द्वीप कहां पर बसा है और यहां कितने लोग रहते है. 


सबसे दूर का द्वीप


दुनियाभर में घूमने वाले लोगों की कमी नहीं है. हालांकि घूमने वाले लोगों की अलग-अलग कैटगरी जरूर है. जैसे कुछ घूमने वाले लोग नदी का किनारा खोजते हैं, तो कुछ घूमने वाले लोग बीच और ऐतिहासिक धरोहरों के पास जाना पसंद करते हैं. कुछ लोग दोस्तों के साथ घूमना पसंद करते हैं, तो कुछ लोग सोलो ट्रैवल करते हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे ट्रिस्टन दा कुन्हा द्वीप के बारे में बताने वाले हैं, जहां की फोटो देखने के बाद हर इंसान सोचता है कि वहां जाकर घूमे. लेकिन यहां हर व्यक्ति नहीं पहुंच पाता है. क्योंकि ये काफी दूर है. 


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ट्रिस्टन दा कुन्हा द्वीप


ट्रिस्टन दा कुन्हा द्वीप को दुनिया का सबसे दूरस्थ आबादी वाला द्वीप माना जाता है. ये दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन से करीब 2,787 किमी दूर स्थित दक्षिण अटलांटिक महासागर में अलग है. बता दें कि ये ज्वालामुखीय द्वीपों का यह समूह चारों ओर से समुद्र से घिरा है. 


ये द्वीप भी अलग थलग


द्वीपसमूह में बसे हुए द्वीपों में ट्रिस्टन दा कुन्हा, गफ द्वीप, दुर्गम द्वीप और नाइटिंगेल द्वीप शामिल हैं. इस द्वीप पर साल 2018 तक ब्रिटिश ओवरसीज टेरिटरीज नागरिकता के साथ 250 स्थायी निवासी थे. ब्रिटिश प्रवासी क्षेत्र होने के नाते ट्रिस्टन दा कुन्हा का अपना संविधान भी है. हालांकि  मुख्य द्वीप पर कोई हवाई पट्टी नहीं है, यहां जल मार्ग के द्वारा जाना होता है.


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जल मार्ग


ट्रिस्टन दा कुन्हा पर कोई हवाई अड्डा नहीं है. ऐसे में वहां पर रहने वाले स्थानीय लोग और पर्यटक दोनों ही सिर्फ नाव से आते जाते हैं. इतना ही नहीं यहां पहुंचने इतना आसान नहीं है. बता दें यहां पहुंचने के लिए दक्षिण अफ्रीका से छह दिन की यात्रा करनी पड़ती है. ट्रिस्टन दा कुन्हा खुद एक ज्वालामुखीय द्वीप है, जिसमें एक प्रमुख ज्वालामुखीय शिखर है. इसे क्वीन मैरी पीक कहा जाता है. ये समुद्र तल से 6765 फीट ऊपर है.


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किसने खोजा ये द्वीप


अब आप सोच रहे होंगे कि इतने दूर द्वीप को किसने खोजा है. बता दें कि पुर्तगाली खोजकर्ता ट्रिस्टाओ दा कुन्हा ने इस द्वीपसमूह की खोज 1506 को खोजा था. जानकारी के मुताबिक ब्रिटिश सैनिकों का एक समूह कुछ नागरिकों के साथ 1816 में यहां आया था. इनमें कुछ बच्चे और महिलाएं भी शामिल थीं. ब्रिटिश सैनिक सेंट हेलेना से नेपोलियन बोनापार्ट के बचाव को रोकने के लिए ट्रिस्टन दा कुन्हा पर रहते थे. 


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