समुद्र में रहने वाला ये जीव कभी नहीं मरता, अरबों साल से जिंदा है
इस जेलीफिश का नाम ट्यूरिटोप्सिस डोहरनी है. जिसे दुनिया आसान भाषा में "अमर जेलीफिश" के नाम से जानती है. ये जीव अपने शानदार जीवन चक्र और अनूठी Regenerative क्षमताओं के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है.
![समुद्र में रहने वाला ये जीव कभी नहीं मरता, अरबों साल से जिंदा है Turritopsis dohrnii jellyfish this creature living in the sea never dies it has been alive for billions of years समुद्र में रहने वाला ये जीव कभी नहीं मरता, अरबों साल से जिंदा है](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/10/23/f76824721466b84c858c1e46771bd20e1729684272221617_original.png?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
कहते हैं कि इस दुनिया में जिसने जन्म लिया उसे मरना ही होता है. लेकिन, इसी धरती पर एक जीव ऐसा भी है जो इस बात को खारिज करता है. दरअसल, समुद्र की गहराईयों में पाए जाने वाले इस जीव के बारे में कहा जाता है कि ये जैविक रूप से कभी नहीं मरता. चलिए इसके बारे में आपको विस्तार से बताते हैं.
क्या नाम है इस जेलीफिश का
इस जेलीफिश का नाम ट्यूरिटोप्सिस डोहरनी है. जिसे दुनिया आसान भाषा में "अमर जेलीफिश" के नाम से जानती है. ये बेहद अनूठा समुद्री जीव है जो अपने शानदार जीवन चक्र और अनूठी Regenerative क्षमताओं के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. जहां हर जीव जन्म के बाद मृत्यु की ओर बढ़ते हैं, वहीं ये जीव मृत्यु के नजदीक पहुंचने से पहले ही अपने आपको फिर से ऐसे विकसित कर लेते हैं जैसे एक नया बच्चा हो.
दो स्टेज में होता है जीवन
इस जीव का पूरा जीवन चक्र दो स्टेज में होता है. पहला पॉलिप स्टेज और दूसरा मेडुसा स्टेज. इन्हीं दो स्टेजों में ये जीव अपना जीवन जीता है. पहले पॉलिप स्टेज को समझिए. ट्यूरिटोप्सिस डोहरनी का जीवन पॉलिप के रूप में शुरू होता है. इस अवस्था में यह जेलीफिश समुद्री तल पर चिपकी रहती है और विकसित होती रहती है. जबकि, दूसरे यानी मेडुसा स्टेज में यह जेलीफिश बड़ी हो जाती है और समुद्र में तैरने लगती है. इस अवस्था में, यह जेलीफिश प्रजनन करती है और अंडे भी देती है.
खुद को कैसे अमर बनाती है ये जेलीफिश
दरअसल, ट्यूरिटोप्सिस डोहरनी जेलीफिश के अंदर एक खासियत होती है. ये जेलीफिश अपने पूरे शरीर को फिर से विकसित कर सकती है. यानी अगर इस जेलीफिश के शरीर का कोई अंग चोटिल हो या खराब हो तो यह फिश इसे तुरंत फिर से विकसित कर लेती है. एक तय समय के बाद जब ये जेलीफिश बूढ़ी होने लगती है तो यह मेडुसा स्टेज से पॉलिप स्टेज में पहुंच जाती है और अपने पूरे शरीर का नया निर्माण कर लेती है. इस प्रक्रिया को "ट्रांसडिफ़रेंशिएशन" कहा जाता है.
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