कर्नाटक हाईकोर्ट के एक जस्टिस के विवादास्पद बयान के बाद देशभर में बवाल मचा हुआ है. जस्टिस वेदव्यासाचार्य श्रीशानंद के दो अलग-अलग वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. लेकिन सवाल ये है कि आम इंसान इंसाफ पाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाता है. लेकिन अगर कोई जज विवादित बयान या टिप्पणी करता है, तो उसके खिलाफ किन कानूनों के तहत कार्रवाई हो सकती है.  


क्या है मामला


बता दें कि कर्नाटक हाईकोर्ट के एक जस्टिस का विवादास्पद बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. एक वीडियो में वह बेंगलुरु के मुस्लिम बहुल एक इलाके को कठित तौर पर “पाकिस्तान” कहते नजर आ रहे हैं. वहीं कोर्ट में सुनवाई के दौरान वह जब दूसरे पक्ष के वकील से कुछ पूछते हैं तो विपक्ष की वकील की ओर कुछ कहने पर वह भड़क जाते हैं. महिला वकील पर अभद्र टिपण्णी करते हुए भी नजर आते हैं. उन्होंने कहा कि विपक्ष के बारे में इतना जानती हैं कि अब उनके अंडरगार्मेंट की रंग भी बता देंगी.


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सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान


जानकारी के मुताबिक वीडियो वायरल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार 20 सितंबर को स्वतः संज्ञान लिया है. वहीं शीर्ष कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट को इस मामले पर सोमवार तक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है. CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने जस्टिस वेदव्यासचार श्रीशानंद की टिप्पणियों पर कर्नाटक हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को 2 हफ्ते में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है. बता दें की सीजेआई ने इस मामले में अटॉर्नी जनरल (एजी) आर वेंकटरमणि और सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता से भी मदद मांगी है. कोर्ट ने यह भी कहा कि कुछ बेसिक गाइडलाइन जारी की जा सकती हैं.


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जज पर कौन कर सकता है कार्रवाई


अब आप सोच रहे होंगे कि जज सभी लोगों को सजा सुनाते हैं, तो जज के ऊपर कार्रवाई कौन कर सकता है. जानकारी के मुताबिक पहले किसी जज के खिलाफ शिकायत करना काफी पेंचीदा मामला था. लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब सुप्रीम कोर्ट ने अधिसूचना के मुताबिक पहले जज को हटाने के लिए के लिए अलग से कानून (जजेज इंक्वायरी एक्ट, 1968) है, जिसकी कार्रवाई बहुत जटिल और समय लेने वाली है.


 लेकिन अब किसी जज के खिलाफ कार्रवाई संभव है. सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक अगर आपके द्वारा की गई शिकायत में दम है, तो चीफ जस्टिस उसकी जांच करवाएंगे. वहीं सबूत पाए जाने पर तीन जजों की जांच कमेटी से उस मामले की जांच करवाई जाएगी. वहीं अगर कोई जज दोषी पाया जाता है, तो चीफ जस्टिस उसे न्यायिक कार्य से हटाने, पद से इस्तीफा दिलाने, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के लिए कहने और जवाबतलब करने के लिए पीएम को सूचना देने तक का दंड दे सकते हैं. वहीं कुछ मामलों में देश के सीजेआई और सुप्रीम कोर्ट स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई कर सकते हैं.


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