भारत एक युवा प्रधान देश है. यहां कई देशों के मुकाबले युवाओं की संख्या ज्यादा है. लेकिन ये युवा फिलहाल बेरोजगारी का शिकार हैं. इन बेरोजगार युवाओं का संघर्ष हमें सड़कों पर अक्सर किसी ना किसी विरोध प्रदर्शन के जरिए दिखाई देता है. चलिए आज इस आर्टिकल में समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर सरकारी आंकड़ों में बेरोजगारों की भीड़ कितनी बड़ी है.


सरकारी आंकड़े में कितने बेरोजगार


संसद में जब सरकार से इस संबंध में सवाल किया गया तो श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने इस पर जवाब दिया. उन्होंने बताया कि देश में रोजगार और बेरोजगारी पर डाटा पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे द्वारा इकट्ठा किया जाता है. ये डाटा 2017 से हर साल जुलाई और जून के महीने रिलीज होता है. लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, 2022-23 में 15 साल और उससे अधिक उम्र के युवाओं में बेरोजगारी दर ग्रामीण भारत में 2.4 रही और शहरी भारत में 5.4 रही.


पहले के मुकाबले रोजगार बढ़ा है


इस सवाल के जवाब में सरकार की ओर से वर्कर पॉपुलेशन रेश्यो (WPR) की रिपोर्ट को आधार बनाकर कहा गया कि बीते कुछ वर्षों में कामकाजी युवाओं की संख्या बढ़ी है. साल 2020-21 में जहां कामकाजी युवाओं की संख्या 52.6 फीसदी थी, 2021-22 में वो बढ़ कर 52.9 फीसदी हो गई. जबकि, 2022-23 में ये संख्या बढ़ कर 56 फीसदी हो गई.


अब समझिए बेरोजगारी होती क्या है?


बेरोजगारी को समझने के लिए आपको सबसे पहले लेबर फोर्स को समझना होगा. दरअसल, भारत में 15 साल और उससे ऊपर के लोगों को वर्किंग एज ग्रुप में गिना जाता है. इस वर्किंग एज ग्रुप की कुल संख्या में जितने लोग काम कर रहे हैं और जितने लोग काम की तलाश में हैं उनका टोटल नंबर मौजूदा लेबर फोर्स कहलाता है. अब बेरोजगारी की परिभाषा को समझते हैं. अर्थशास्त्र के अनुसार, बेरोजगारी वो स्थिति होती है जब लेबर फोर्स का कोई व्यक्ति रोजगार ढूंढ रहा है, रोजगार करने के लायक हो, लेकिन उसे रोजगार मिल ना रहा हो. इन्हीं मानकों के आधार पर लेबर फोर्स में बेरोजगारों का प्रतिशत निकाला जाता है.


ये भी पढ़ें: 11 रुपये में गले मिलिए और 115 रुपये में कर लीजिए किस, जानें यह स्ट्रीट गर्लफ्रेंड सर्विस क्या है?