UNGA Voting: इजरायल और हमास के बीच पिछले कई दिनों से संघर्ष जारी है. दोनों तरफ के हजारों लोगों की इस युद्ध में मौत हो चुकी है, जिनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं. फिलहाल इस युद्ध को किसी भी हाल में रोकना पूरी दुनिया के लिए चुनौती बन चुका है. अमेरिका से लेकर ब्रिटेन तक इसकी कोशिश कर चुके हैं. अब इजरायल-हमास को लेकर यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली में एक प्रस्ताव रखा गया, जिस पर हुई वोटिंग में भारत ने हिस्सा नहीं लिया. आज हम आपको ये बता रहे हैं कि यूएन में वोटिंग कैसे होती है और प्रस्ताव पास होने पर क्या होता है?


रूस और यूक्रेन युद्ध की तरह भारत ने इस बार भी खुद को वोटिंग से दूर रखा. इजरायल-हमास पर लाए गए इस प्रस्ताव में युद्ध को जल्द से जल्द बंद करने, गाजा में मौजूद पीड़ितों तक राहत पहुंचाना, सीजफायर, होस्टेज सिचुएशन जैसी चीजें शामिल थीं. यूएन में इस प्रस्ताव को जॉर्डन ने रखा था. 


कैसे होती है वोटिंग?
यूएन महासभा में कोई भी देश अपना प्रस्ताव पेश कर सकता है. इस पर वोटिंग होगी या नहीं, ये अध्यक्ष तय करते हैं. वोटिंग के बाद प्रस्ताव को पास करने के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत होती है. फिलहाल दुनिया के 193 देश यूनाइटेड नेशन के सदस्य हैं. इजरायल-हमास मामले में लाए गए प्रस्ताव को 120 वोट मिले, यानी बहुमत मिल गया. 


प्रस्ताव पास होने के बाद क्या?
अब सवाल ये है कि यूएनजीए में वोटिंग के बाद अगर प्रस्ताव पास हो गया तो क्या होता है. दरअसल किसी भी स्थिति के शांतिपूर्ण समाधान के लिए सिफारिशें करना यूएनजीए का काम है. प्रस्ताव पास होने के बाद दुनियाभर के देशों का किसी मुद्दे को लेकर रुख पता चलता है और युद्ध में शामिल देश को एक मोरल मैसेज जाता है. यानी यूएनजीए कानूनी तौर पर किसी देश को बाध्य नहीं कर सकता है. इसके लिए यूएनएससी बनाया गया है. 


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