इन देशों में पहले से है UCC जैसे कानून, लिस्ट में अमेरिका और पाकिस्तान जैसे देश भी हैं शामिल
यूनिफॉर्म सिविल कोड का जिक्र पहली बार ब्रिटिश काल के दौरान 1835 में किया गया था। आपके मन में भी यूसीसी को लेकर कई सवाल उथल-पुथल मचा रहे हैं तो आप इस खबर को आखिर तक जरूर पढ़िए।
Uniform Civil Code: यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुद्दा एक बार फिर से देश में चर्चा का विषय बन गया है। हर तरफ लोग इसके बारे में बातें कर रहे हैं। हर बार की तरह कोई पक्ष में है तो कोई विपक्ष में। हालांकि, एक तबका ऐसा भी है, जो यूसीसी से अनजान है। इस श्रेणी में आने वाले कुछ लोग तो यूसीसी को किसी स्कूल यूनिफॉर्म की तरह समझ रहे हैं। अगर आपके मन में भी यूसीसी को लेकर कई सवाल उथल-पुथल मचा रहे हैं तो आप इस खबर को आखिर तक जरूर पढ़िए। हम यूसीसी से जुड़े तमाम सवालों के जवाब बेहद आसान भाषा में देने वाले हैं।
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?
यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब एक देश और एक कानून से है। अगर किसी देश में यूसीसी को लागू किया जाता है तो उस देश में शादी, डाइवोर्स (तलाक), प्रॉपर्टी में बंटवारा, बच्चा गोद लेना जैसे सभी विषयों पर एक कानून बनाया जाता है। इस कानून के हिसाब से ही सभी धर्मों के लोगों को चलना पड़ता है। फिलहाल, भारत में कई ऐसे कानून हैं जो धर्म के आधार पर तय किए गए हैं। मान लीजिए, अगर भारत में यूसीसी लागू किया जाता है तो सभी धर्मों के लोगों को उसी कानून के हिसाब से चलना होगा जो भारतीय संसद तय करेगी।
PM के बयान ने छेड़ी बहस
यूसीसी कुछ समय तक ठंडे बक्से में था, लेकिन फिर अचानक पीएम मोदी ने कुछ ऐसा कहा कि यूसीसी को लेकर चर्चाएं होने लगीं। दरअसल, प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध करने वालों से सवाल किया कि आखिर दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल सकता है? अपनी बात में पीएम ने यह भी जोड़ा कि संविधान में सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार का जिक्र है। पीएम मोदी के इतना कहते ही विपक्षी दलों में उथल-पुथल मच गई। अब कोई यूसीसी के पक्ष में खड़ा हुआ तो कोई विपक्ष में।
पहली बार कब हुआ यूसीसी का जिक्र?
यूनिफॉर्म सिविल कोड का जिक्र पहली बार ब्रिटिश काल के दौरान 1835 में किया गया था। तब ब्रिटिश सरकार ने एक रिपोर्ट पेश कर कहा था कि अपराधों जैसे मुद्दों पर सभी के लिए एक जैसा कानून लागू करने की आवश्यकता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद-44 में सभी नागरिकों के लिए समान कानून की बात कही गई है, लेकिन भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25 में धार्मिक स्वतंत्रता की बात कही गई है। धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के अनुसार, कोई भी व्यक्ति अपनी पसंद के धर्म को मानने के लिए स्वतंत्र है। नागरिकों के धार्मिक मामले में सरकार कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।
ऐसे में, भारत में अभी तक यूसीसी को लागू नहीं किया जा सका है। भारत में अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। भारत में अलग हिंदू आबादी बहुसंख्यक है तो अलग-अलग राज्यों में उनके रीति रिवाजों में काफी अंतर है। इसी हिसाब से सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और मुस्लिम आदि अपने-अपने धर्म को मानते हैं। अब अगर यूसीसी को लागू किया जाता है तो सभी धर्मों के लोगों को एक ही कानून के अनुसार चलना पड़ेगा। बता दें कि साल 2016 में विधि आयोग ने यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए लोगों से राय मांगी थी। फिर आयोग ने 2018 में कहा कि भारत में यूसीसी की आवश्यकता नहीं है।
भारत के इस राज्य में UCC पहले से लागू
भारत के यूसीसी के लागू करने में भले ही दिक्कतें आ रही हों, लेकिन भारत का एक ऐसा राज्य भी है जहां यूसीसी लागू है। इस राज्य का नाम गोवा है। भारतीय संविधान में गोवा को विशेष राज्य का भी दर्जा दिया गया है. गोवा में सभी धर्मों के लोग एक ही कानून को फॉलो करते हैं। गोवा में यूसीसी के चलते कोई ट्रिपल तलाक नहीं दे सकता, बिना रजिस्ट्रेशन के विवाह कानूनी तौर पर मान्य नहीं, प्रॉपर्टी पर पति-पत्नी का समान अधिकार, तलाक सिर्फ कोर्ट के जरिए और माता पिता संपत्ति का मालिक अपने बच्चों को भी बनाना होता है।
दुनिया के कई देशों में है यूसीसी
यूनिफॉर्म सिविल कोड को दुनिया के कई देश फॉलो करते हैं, जिनमें अमेरिका, आयरलैंड, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्किये, इंडोनेशिया, सूडान, मिस्र जैसे देश शामिल हैं। हालांकि, कई इस्लामिक देशों में शरिया कानून और कई यूरोपीय देशों में धर्मनिरपेक्ष कानून को फॉलो किया जाता है।
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