Angel Tax: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2024-25 को लेकर संसद में कई बड़े ऐलान किए हैं. इसी में से एक ऐलान एंजेल टैक्स को लेकर हुआ है. वित्त मंत्री ने कहा कि एंजेल टैक्स को अब पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है. चलिए जानते हैं कि आखिर ये एंजेल टैक्स था क्या और इसे हटाने की मांग पहले से ही क्यों हो रही थी. इसके साथ ही जानेंगे कि इसे खत्म करने से आम आदमी पर इसका क्या असर पड़ेगा.


क्या है एंजेल टैक्स


एंजेल टैक्स (Angel Tax) को देश में साल 2012 में लागू किया गया था. यह टैक्स उन अनलिस्टेड बिजनेस पर लागू होता था, जो एंजेल निवेशको से फंडिंग हासिल करते थे. इसे आसान भाषा में इस तरह से समझ सकते हैं कि जब कोई स्टार्टअप किसी एंजेल निवेशक से फंड लेता था तो वह इस पर भी टैक्स चुकाता था. यह सारी प्रक्रिया आयकर अधिनियम 1961 की धारा 56 (2) (vii) (b) के तहत होती थी.


सरकार ये टैक्स क्यों लाई थी?


दरअसल, सरकार का मानना था कि इसके जरिए वह मनी लॉन्ड्रिंग पर रोक लगा सकती है. इसके अलावा इस टैक्स की मदद से सरकार सभी तरह के बिजनेस को टैक्स के दायरे में लाने की कोशिश कर रही थी. हालांकि, सरकार के इस कदम से देश के तमाम स्टार्टअप्स को नुकसान झेलना पड़ रहा था. यही वजह थी कि इस टैक्स को खत्म करने की मांग उठ रही थी. इस टैक्स को लेकर असली दिक्कत तब होती थी जब किसी स्टार्टअप को मिलने वाला इन्वेस्टमेंट उसकी फेयर मार्केट वैल्यू (FMV) से भी अधिक हो जाता था. ऐसी हालत में स्टार्टअप को 30.9 फीसदी तक टैक्स चुकाना पड़ता था.


खैर, अब मोदी सरकार ने इस टैक्स को खत्म कर दिया है और इससे देश के स्टार्टअप्स को फायदा होगा. आपको बता दें, बीते कुछ वर्षों में देश में स्टार्टअप्स की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. इसके साथ ही कई स्टार्टअप्स ऐसे भी हैं जो यूनिकॉर्न बने हैं. मोदी सरकार का लक्ष्य देश में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना है. इसलिए वह हर संभव प्रयास कर रही है कि स्टार्टअप्स को हर तरह की मदद की जाए.


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