UP Madrasa Act: सुप्रीम कोर्ट ने मदरसा कानून को मान्यता दे दी है. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ फैसला सुनाते हुए मदरसा कानून को सही ठहराया है. दरअसल इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ‘उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004’ को असंवैधानिक करार दिया था. हाई कोर्ट के इस फैसले को चुनौती दी गई थी. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने 22 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था. मदरसा कानून पर सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुरक्षित रखा था. ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या मदरसों की तरह भारत में स्कूलों को लेकर भी कोई कानून है? चलिए इस सवाल का जवाब जानते हैं.
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क्या मदरसों की तरह स्कूलों के लिए भी बने हैं कोई कानून?
यह सवाल अक्सर पूछा जाता है कि क्या भारत में मदरसों की तरह स्कूलों को लेकर भी कोई खास कानून है? इसका सीधा जवाब है हां, भारत में स्कूलों को लेकर कई कानून और नीतियां हैं.
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भारत में स्कूलों को लेकर बने हैं ये खास कानून
शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (Right to Education Act, RTE) भारत में शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाता है. यह 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का प्रावधान करता है. इस अधिनियम में स्कूलों के लिए बुनियादी ढांचे, शिक्षकों की योग्यता, छात्र-शिक्षक अनुपात आदि के बारे में विस्तृत दिशानिर्देश दिए गए हैं. इसके अलावा भारत में मदरसे भी शिक्षण संस्थान हैं और उन पर भी शिक्षा से संबंधित सामान्य कानून लागू होते हैं. हालांकि, कुछ मदरसों को धार्मिक शिक्षा प्रदान करने की अनुमति है.
स्कूलों को लेकर ये भी हैं कानून और नीतियां
मॉडल स्कूल एक्ट: कई राज्यों के अपने मॉडल स्कूल एक्ट हैं जो स्कूलों के संचालन, शिक्षकों की नियुक्ति और छात्रों के नामांकन से संबंधित नियमों को निर्धारित करते हैं.
CBSE, ICSE, राज्य बोर्ड: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE), भारतीय स्कूल प्रमाणपत्र परीक्षा (ICSE) और विभिन्न राज्य बोर्ड स्कूलों के पाठ्यक्रम और परीक्षाओं को नियंत्रित करते हैं.
शिक्षा नीति: भारत सरकार समय-समय पर नई शिक्षा नीतियां जारी करती है जिनका उद्देश्य शिक्षा के स्तर में सुधार करना और सभी बच्चों तक शिक्षा पहुंचाना है.
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