US Elections 2024: अमेरिका में इन दिनों चुनावी हलचल है. आज यानी 5 नवंबर 2024 को अमेरिका में चुनाव हैं. अमेरिका में चुनावी प्रक्रिया बहुत ही कठिन और अलग है. यहां के चुनावों में न केवल पारंपरिक मतदान प्रणालियां होती हैं, बल्कि कुछ ऐसे नियम भी हैं जो मतदाताओं और राजनैतिक दलों को हैरान कर देते हैं. इनमें से एक अनोखा और विवादों से भरा नियम भी है, जिसके मुताबिक बढ़त बनाने वाली पार्टी के खाते में हारी हुई सीटें चली जाती हैं. यह नियम चुनावी प्रणाली को प्रभावित करता है और चुनावी नतीजों को न केवल राजनीतिक दलों, बल्कि मतदाताओं के लिए भी अलग बना सकता है. चलिए जानते हैं कि अमेरिका में ऐसा नियम क्यों बनाया गया.


अमेरिका में बढ़त बनाने वाली पार्टी को मिलता है खास लाभ


अमेरिका में चुनावों में किसी भी पार्टी के लिए यह जरुरी होता है कि वो जितनी ज्यादा सीटें जीत सके, उतना ही उसका राजनीतिक प्रभाव बढ़ता है. लेकिन क्या हो जब आपको पता चले कि हारी हुई सीटें भी कभी-कभी उस पार्टी के खाते में चली जाती हैं जो चुनावों में बढ़त बना रही होती है.


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कैसे काम करता है ये नियम?


यह नियम आमतौर पर अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स और सीनेट में लागू होता है. चुनाव के दौरान, किसी राज्य या क्षेत्र में जो उम्मीदवार सबसे ज्यादा वोट पाता है, उसे वो सीट मिल जाती है. हालांकि, कई बार जीत दर्ज करने वाले को हारी हुई सीटें भी मिलती हैं, जिन्हें आमतौर पर हारने वाली पार्टी के उम्मीदवार के पास जाना चाहिए था.


यह नियम "विनर-टेक्स-ऑल" (The champ brings home all the glory) कहलाता है, जिसमें चुनावी क्षेत्र में सबसे ज्यादा वोट पाने  वाली पार्टी को पूरा अधिकार प्राप्त होता है. यह वर्चस्व उस पार्टी को न केवल जीती हुई सीटों पर मिलता है, बल्कि यदि कोई सीट पूरी तरह से खुली या अप्रत्याशित तरीके से विवादित हो, तो वो भी जीती हुई पार्टी के पक्ष में चली जाती हैं. ये नियम पार्टी लायन के सिद्धांत को बढ़ावा देता है.


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हारी हुई सीटें कैसे जीत सकती है बढ़त बनाने वाली पार्टी?


'प्रॉक्सी वोटिंग' और 'रिटेंशन ऑफ़ वोट्स' जैसी प्रोसेस ऐसी स्थिति बनाती हैं, जहां बढ़त बनाने वाली पार्टी के खाते में हारी हुई सीटें चली जाती हैं. इसे कुछ राज्यों में 'सीट रीअलाइनमेंट' या 'रेडिस्ट्रीब्यूशन' भी कहा जाता है.


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