अमेरिकी नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब कुछ ही दिनों में शपथ ग्रहण करने वाले हैं. लेकिन उनके शपथ ग्रहण से पहले बाइडन प्रशासन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एएसए) जेक सुलिवन बीते सोमवार को भारत दौरे पर आए थे. इस दौरान सुलिवन ने IIT दिल्ली में कहा कि अमेरिकी सरकार भारतीय परमाणु संस्थानों पर लगे पुराने प्रतिबंध हटाएगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि किन देशों के ऊपर अभी परमाणु बैन लागू है.


भारत से हटेगा परमाणु बैन


राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एएसए) जेक सुलिवन के भारतीय परमाणु संस्थानों पर लगे पुराने प्रतिबंध हटाने के बयान को लेकर माना जा रहा है कि आने वाले समय में दोनों देशों के बीच सहयोग की भावना होगी. बता दें कि अमरिका ने पोखरण में हुए परमाणु परीक्षण के बाद 200 से ज्यादा भारतीय संस्थानों पर बैन लगाए थे. हालांकि बाद में कई संस्थानों के ऊपर से ब्लैक लिस्ट हटाया गया था, वहीं कई संस्थान अभी भी ब्लैक लिस्ट में है. 


इन देशों के पास परमाणु हथियार


बता दें कि दुनिया के 9 देशों के पास परमाणु हथियार है. जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इजरायल के पास परमाणु हथियार हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि परमाणु हथियार को लेकर क्या प्रतिबंध है, इसके कारण ये अन्य देशों के पास नहीं हैं. हालांकि अमेरिका द्वारा बाकी सभी देशों के ऊपर प्रतिबंध लगा हुआ है. 


परमाणु हथियार को लेकर संधि


बता दुनिया के कई शक्तिशाली देशों के पास आज भी अभी तक परमाणु हथियार नहीं हैं. इसके पीछे की वजह परमाणु अप्रसार संधि (NPT) है. बता दें कि इस संधि को 1968 में अपनाया गया था और 1970 में लागू किया गया था.  इस संधि का उद्देश्य दुनिया को परमाणु हथियारों के खतरे से बचाना है. बता दें कि आज तक 190 देशों ने इस संधि पर हस्ताक्षर किया है. इतना ही नहीं इस संधि के तहत सिर्फ संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, यूनाइटेड किंगडम, चीन और फ्रांस को परमाणु हथियार रखने की अनुमति है, क्योंकि इन देशों ने संधि के लागू होने से पहले परमाणु परीक्षण किया था.


भारत को कैसे मिला परमाणु हथियार?


परमाणु अप्रसार संधि के मुताबिक अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चीन और फ्रांस को सिर्फ परमाणु हथियार रखने की अनुमति है. हालांकि अब सवाल ये है कि भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इजरायल ने अपने परमाणु परीक्षण कैसे किए थे. बता दें कि भारत और पाकिस्तान ने कभी भी इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किया था. इन देशों ने अमेरिका के को प्रतिबंधों को दरकिनार कर दिया था. वहीं उत्तर कोरिया शुरू में संधि का हिस्सा था, लेकिन परमाणु परीक्षण करने के बाद उसने खुद को इससे अलग कर लिया था. वहीं इजरायल ने भी गुप्त रूप से अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम को विकसित किया है.


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