Uttarakhand Foundation Day: आज यानी 9 नवंबर को उत्तराखंड को बने हुए 24 साल का हो चुके हैं. साल 2000 में 9 नवंबर के दिन ही उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड की स्थापना की गई थी. भारत के और राज्य जैसे दूसरे राज्यों से अलग हुए उसी तरह उत्तराखंड भी उत्तर प्रदेश से अलग हुआ. उसके लिए भी बहुत से आंदोलन हुए, बहुत से लोगों ने अपनी जान भी गंवाई.
उत्तराखंड बनने के बाद उसके विकास में अहम भूमिका रही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी जिन्हें एनडी तिवारी के नाम से भी जाना जाता है. एनडी तिवारी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी बने थे. उत्तराखंड बनने से पहले एनडी तिवारी का एक भाषण बहुत मशहूर हुआ था. जिसमें एनडी तिवारी ने कहा था 'मेरी लाश पर बनेगा उत्तराखंड.' जानें एनडी तिवारी ने क्यों कहा था ऐसा.
एनडी तिवारी नहीं थे उत्तराखंड बनने के पक्ष में
एनडी तिवारी का निजी जीवन उनके राजनीतिक जीवन पर भारी रहा. लेकिन बावजूद इसके उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में काफी ऊंचाइया हासिल की थी. जब उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अलग करके अलग राज्य बनाए जाने की मांग उठ रही थी. तब एनडी तिवारी उत्तर प्रदेश के विभाजन के पक्ष में नहीं थे. वह उत्तराखंड को अलग राज्य बनाए जाने के खिलाफ थे. और यही वजह थी उन्होंने कहा 'मेरी लाश पर बनेगा उत्तराखंड.' एनडी तिवारी का मानना था कि उत्तर प्रदेश का विभाजन होना राज्य की एकता के लिए और उसकी प्रशासनिक स्थिति के लिए काफी खराब कदम साबित हो सकता है. इसीलिए वह उत्तराखंड बनाए जाने के विरोधी थे.
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बाद में बने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री
नारायण तिवारी शुरुआत में जहां उत्तराखंड के बनने के खिलाफ थे. लेकिन बाद में जब साल 2000 में उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से विभाजित करके नया राज्य बनाया गया. तो उत्तराखंड बनने के खिलाफ रहे नारायण दत्त तिवारी को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला.
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साल 2002 में नारायण दत्त तिवारी उत्तराखंड के तीसरे मुख्यमंत्री बने. बता दें एनडी तिवारी भारत के इकलौते ऐसे नेता रहे जो भारत के दो राज्यों के मुख्यमंत्री बने थे. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बनने से पहले एनडी तिवारी तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके थे.
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