क्या होता है एस्केप पैसेज, जिसे बनाने के बाद बच पाएंगे टनल में फंसे 41 मजदूर
एस्केप टनल की साइज मेन टनल से कम होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसका इस्तेमाल सिर्फ आपातकालीन स्थितियों में ही होता है. बाकी के समय इस टनल को बंद ही रखा जाता है.
उत्तराखंड में उत्तरकाशी के सिलक्यारा गांव में निर्माणाधीन सुरंग धंसने की वजह से 41 मजदूर उसमें फंस गए. ये मामला 9 दिन पहले का है और तब से इन मजदूरों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए कई तरह की कोशिशें की गईं. लेकिन अब जो जानकारी निकल कर सामने आ रही है...उसके मुताबिक, सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए एक एस्केप पैसेज को बनाया जा रहा है. चलिए जानते हैं कि ये एस्केप पैसेज होता क्या है?
क्या होता है एस्केप पैसेज
इस शब्द पर आप जब ध्यान देंगे तो आपको पता चल जाएगा कि इसका अर्थ है छिपने वाला रास्ता. हालांकि, सुरंगों या टनल के निर्माण के समय ये अक्सर बनाया जाता है. ये इसलिए बनाया जाता है ताकि कभी जब टनल में कोई हादसा हो जाए तो उसमें फंसे लोगों को इसकी मदद से बचाया जा सके. भारत में पहले से इस तरह के टनल स्केप यानी स्केप पैसेज मौजूद हैं.
कैसे काम करता है एस्केप पैसेज
दरअसल, जब किसी रोड टनल या रेलवे टनल का निर्माण किया जाता है उसके साथ-साथ एक और टनल या सुरंग बनाई जाती है. हालांकि, एस्केप टनल की साइज मेन टनल से कम होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसका इस्तेमाल सिर्फ आपातकालीन स्थितियों में ही होता है. बाकी के समय इस टनल को बंद ही रखा जाता है. आपको बता दें, ये एस्केप पैसेज को हर टनल के साथ तो नहीं बनाया जाता, लेकिन जहां दुर्घटना होने की संभावना ज्यादा रहती है, वहां इसे बनाया जाता है. खासतौर से पहाड़ी रास्तों पर एस्केप टनल जरूर बनाए जाते हैं.
जम्मू-कश्मीर में बना है
अभी हाल ही में यूएसबीआरएल यानी उधमपुर श्रीनगर बारामूला रेल लिंक परियोजना के कटरा-बनिहाल सेक्शन पर सुंबर और खारी स्टेशनों के बीच भारत की सबसे लंबी एस्केप टनल टी-49 का निर्माण किया गया था. दरअसल, ये इलाका पहाड़ी है और यहां दुर्घटना होने के चांसेज हैं. इसलिए यहां मुख्य टनल के साथ-साथ एक एस्केप टनल भी बनाई गई. ये एस्केप टनल 12.895 किलोमीटर लंबी है. जबकि मुख्य सुरंग की बात करें तो ये 12.75 किलोमीटर ही लंबी है.
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